एक मेरी तन्हाई
मुझ से उधड़ी उकताई
ख़ुद बहुत अकेली है
दुःख अजब पहेली है!-
उसी दिन से मैं लिख कर बोलता हूँ..
- फ़हमी बदायूँनी
Insta- mishra... read more
पिघल रहा है मेरा मुंजमिद बदन
अजीब है तेरी छुअन
ये कैसा रब्त है हमारे दरमियाँ?-
रात के उतरते ही इक मुहीब सन्नाटा
चीरता है कानों को सात आसमानों को
एक बला की बेचैनी फन उठाये सीने पर लोट-लोट जाती है
ये अजीब नागिन है रोज़ रोज़ आती है!-
बदला जो वक़्त साथ में हर शय बदल गई
इक याद थी जो ज़ख़्म की सूरत में ढल गई
-
मुंतज़िर तेरी निगाहों के मनाज़िर हैं सभी
और फूलों की फ़क़त एक तलब तेरे दो लब!-
लैंगस्टन ह्यूजेस की कविता "हार्लेम" का नज़्म रूपांतरण— % &एक अधूरे सपने का
आख़िरश क्या होता है?
क्या वो सूख जाता है
ठीक उसी तरह जैसे
धूप में रखी किशमिश?
या वो पकने लगता है
एक घाव की मानिंद?
क्या अधूरे ख़्वाबों से
सड़ते माँस जैसी ही
बास उठने लगती है?
या वो सूख कर यूँ ही
चाश्नी में रहता है
मीठी बिस्कुटों जैसे
एक भारी शय जैसा
धँस भी जाता हो शायद
या कि फट ही पड़ता हो?
©तन्मय जे मिश्रा— % &ایک ادھورے سپنے کا
آخرش کیا ہوتا ہے
کیا وہ سوکھ جاتا ہے
ٹھیک اُسی طرح جیسے
دھوپ میں رکھی کشمش
یا وہ پکنے لگتا ہے
ایک گھاؤ کی مانند
کیا ادھورے خوابوں سے
سڑتے مانس جیسی ہی
باس اُٹھنے لگتی ہے
یا وہ سوکھ کر یوں ہی
چاشنی میں رہتا ہے
میٹھی بسکٹوں جیسے
ایک بھاری شے جیسا
دھنس بھی جاتا ہو شاید
یا کِ پھٹ ہی پڑتا ہو
© تنمے جے مشرا — % &Original Poem By Langston Hughes
Harlem
What happens to a dream deferred?
Does it dry up
like a raisin in the sun?
Or fester like a sore—
And then run?
Does it stink like rotten meat?
Or crust and sugar over—
like a syrupy sweet?
Maybe it just sags
like a heavy load.
Or does it explode?
- Langston Hughes— % &-
बैकवर्ड
इस दुनिया में जिसको देखो
इक दूजे से ख़फ़ा ख़फ़ा है
हँस कर मिलना
हाथ मिलाना
गले लगाना
सब झूठा है
और इस मतलब की दुनिया में
जहाँ हर इक शख़्स इक दूजे से ख़फ़ा ख़फ़ा है
मैं ख़ुद से ही अफ़सुर्दा हूँ
हाय! मैं कितना पिछड़ा हूँ!-