बहाव के साथ बहने को
स्वीकार करना भी
एक तरह की बगावत है।-
तुझसे मुहब्बत करने की सजा और क्या होगी
मैं जिन्दा हूँ तेरे बगैर ये कम तो नही।-
''लिखने की जवाबदेही और किसी के प्रति चाहे न हो, अपने प्रति तो है । हम अपने होने की सार्थकता कहाँ ढूँढें ?"
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गर प्यार है 'हिंदी' से तो 'देवनागरी' से क्यूँ है परहेज?
हिंदी भी 'रोमन' में लिखते हैं , मेरे भारत के अंग्रेज !
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मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
तोड़ा ही क्या है आखिर तुमने?
एक कच्चा दोस्ती का धागा ही तो था।
खोया ही क्या है आखिर मैने?
एक शख्स पर मुझे खुद से ज्यादा भरोसा ही तो था।
जो टूट गया, जो खो गया,
वो ना तुम्हारा था ना मेरा था।
एक नाजुक दिल से दिल का रास्ता ही तो था जो मिट गया।
इसलिए ही तो,
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
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उनका कहना कि जीना नहीं तेरे बगैर
कैसे कहूँ अब वो बेवफा से कि बहाना अच्छा था।-
काश रिश्ते भी उस धूल की तरह ही होते,
जिन्हें हम सुबह बाहर निकाल भी देते तो साँझ तक वापिस घर में ही मिलते....-