हाय, न बूढ़ा मुझे कहो तुम!
शब्दकोश में प्रिये, और भी
बहुत गालियां मिल जाएंगी
जो चाहे सो कहो, मगर तुम
मेरी उमर की डोर गहो तुम!
हाय, न बूढ़ा मुझे कहो तुम!
वर्ष हजारों हुए राम के , अब तक शेव नहीं आई है!
कृष्णचंद्र की किसी मूर्ति में, तुमने मूंछ कहीं पाई है?
वर्ष चौहत्तर के होकर भी, नेहरू कल तक तने हुए थे,
साठ साल के लालबहादुर, देखा गुटका बने हुए थे।
मैं तो इन सबसे छोटा हूँ, क्यों मुझको बूढ़ा बतलातीं?
तुम करतीं परिहास, मगर मेरी छाती तो बैठी जाती।
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