अब शायद साथ न चल पायें ,आवो हम दोनों बिछर जायें।।
क्योंकि ये समाज हमें मिलने न देगा।।
दुःखी कर अपने माता-पिता को हम किधर खुश रह पायेंगे।।
चल आज अपने पे गिराते हैं, गमों का पहाड़ ,रोना है उम्र भर का सितम ये उठाते हैं, चल आज हम दोनों बिछर जातें हैं।।-
14 DEC 2019 AT 15:18
23 JUN 2018 AT 21:43
बड़े मिज़ाज़ हैं लोगों के जहाँ तक देखो,,
लबों पे राज़ हैं लोगों के जहाँ तक देखो..
@srp-