काश मेरे हर अल्फाज़ में एक राग हो
फिर मेरी हर किताब "शाहीन बाग़" हो-
27 JUL 2021 AT 12:21
ज़िन्दगी का नहीं ठिकाना कुछ
मिलता क्या है ज़रा बताना कुछ
क्या मोहब्बत नहीं हुई उसको
कल परेशान था दीवाना कुछ
कोई उसको ज़रा मोहब्बत दे
पास मेरे नहीं बहाना कुछ
लाश अपनी कहाँ-कहाँ जाए
दफ़्न करता नहीं ज़माना कुछ
आज उसको बुला कहीं 'आरिफ़'
इश्क़ अपना उसे दिखाना कुछ-