भर कर एक चुटकी सिंदूर की मांग में
वो ले गया घर की रौनक घर वालों के ही सामने-
इश्क़ में कुछ ऐसा काम कर दूं...
दो दिल एक जान है,
ये बात सरेआम कर दूं...
चुटकी भर सिंदूर से,
मैं तुझे अपने नाम कर लूं...-
बेटी की विदाई में बहते आँसू..
बिछोह के या खुशी के,
ये समझ नहीं आता..
बस नीर बहा जाता है स्वतः ही नैनों से
अनियंत्रित ,
और उस माँ की विडंबना देखो
जो मन भर आँसू भी नहीं बहा पाती,
क्योंकि समेटना है उसको
शादी के फैले कामों का पुलिंदा..
कई अतिथि भी हैं विदा होने को
उनके उपहार , मिठाई के डब्बे
और कृत्रिम मुस्कान चेहरे पर..
हाँ ,
पिता अवश्य सारी सामाजिकता व्यावहारिकता से दूर
खुद को किसी कोने में समेटे है..
बिटिया भी कुछ पल में ही
रखेगी कदम नए घर में,
करने शुरुआत नए जीवन की,
बचपन की चुटकी भर यादों को भीगे रुमाल में समेटे,
वहाँ, जहाँ नया परिवार पलकें बिछाये है
उसके इंतज़ार में,
सब व्यस्त हैं अब मंगल कार्य के अंतिम चरण में,
दरवाज़े से दिखता टूटा श्रीफल सामने सड़क पर
मानो समेटे सारी संवेदनाएँ खुद में ।-
सुनो मोहतरमा,
मैं तुम्हें पसंद करता हूँ,
तुम मेरे ज़िंदगी के सफ़र में हमसफ़र बन पाओगी क्या..-
इश्क तो दिल देखकर होता है
चेहरे देखकर तो शादियाँ होती हैं ,,,!-
आँखों से पिलाती है वो हर रोज़ मुझे
पर एक हसरत उसके होंठो से पीने की है
यूँ तो सौप रखा है उसने खुद को मेरे हवाले,
मगर दिल की ख्वाहिश पहले उसकी मांग भरने की है-
किस्मत की लकीरों से शिकवा नहीं मुझे
ग़म तो सिर्फ इस बात का है सर आंखों पर रखने
वाले मां-बाप भी चुप रह गए मेरे ज़ख्म देखकर
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यदि आपकी "वो"...हफ्ते में...🐤
4 बार लौकी की सब्जी नियम से बना रहीं हैं...🐤🐤
तो समल्लो............
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वो...इस शादी का गुस्सा अभी भी निकाल रहीं हैं...🔨🔨🔨🔨🔨😊-
Few Years ago,
She rejected my friend request.
Today,
Her parents are visiting my home with her marriage proposal.
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