सड़कें चौड़ी करने की क़वायद से थरथरा गए हैं शजर सारे
धागे मन्नत के बंधे हैं जिन पर सिर्फ दरख़्त वो बेफ़िकर है
--@Disha 'Azal'
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मैंने लगाइ एक बीज
उससे निकला एक पौधा
पौधा ने ली वृक्ष की रूप
एक वृक्ष हजार फायदे
वृक्ष लगाओ फल पाओ और वातावरण को स्वच्छ बनाओ।-
टूटते उस पर्ण का दर्द दिखा सबको,
पर छूटते उस वृक्ष का वक्ष दिखा नहीं,
लिख दिया त्याग पर पत्ती के सबने,
वृक्ष की शाख पर किसी ने लिखा नहीं!-
वृक्ष का कहना, " तुम मेरा एक साल तक
ध्यान रखो
मै पूरी जिंदगी तुम्हारा ध्यान रखूंगा। "
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बीज से है वृक्ष बना, वृक्ष से उपजा फल
यही कहानी जीवन की, कल आज और कल-
मैंने उनसे दिल लगाया और,
दिल्लगी की ख़ुशी में पेड़।
दिल विचारा कब का टूट गया,
पर वृक्ष बन गया वो पेड़।।-
तू नंदनवन का सुदृढ़ वृक्ष, मैं कोमल कमनीय काया कामिनी लता सी हूँ।
आलंबन लेने लिपटूँ तुझसे, संरक्षित होकर तेरा सौन्दर्य बढ़ाती हूँ।
तेरी स्थिरता से मेरी वृद्धि,तू धैर्य साहस की स्वाभाविक प्रतिमूर्ति,
हम एक दूजे के पूरक हैं, फूलती फलती मैं बलखाती लहराती हूँ।
निज निर्धारित अनुशासन की परिभाषा पर जीवन जीने की कामना,
मन तंतुओं से जुड़कर तेरे हृदय में भी प्रशस्त रूप से स्थान पाती हूँ।
Chandrakantajain
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दरख़्त के साथ पर मौकूफ़ हर बसेरा अधूरा है
जैसे अज्दादाओं कि ज़र्फ़ ए स बात की दर्श।
पाकीज़ा है आदतन जाँ निस्सारहै वजूद ए वजह
जैसे ख़ुदा की रज़ामंदी हर जीस्त ए ख़ैरियत।
राहगुज़र के एहसास ए मसर्रत जो सुकूँ ए दीदार है
जैसे देने का रम्ज़ ए गवाह अपनाही रूहानी आलम।
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