किसी पुल सी ठहरी है ज़िन्दगी;
रेल कितनी गुज़र गईं मुझ पर से;
एक बस मैं ही नहीं गुज़र पाया।-
समय नहीं करता इंतजार यह जीवन है रेल
नहीं करता तेरा इंतजार समय पर है रेल
जो करना है कर लो कल ना आए ये पल
दिल दिमाग के खेल में ना मिले ये पल
बस याद रहे इस पल में कहीं बिखर ना जाएं जीवन भर के पल
रिश्ते नाते सब बिखर ना जाए इस पल
पल भर में जी सको जीवन भर का पल
जी लो बस एक पल ना सोचो कल
कल है बस कल ना मिले ये पल
।। अनिल प्रयागराज वाला ।।-
क्या तेजस नाम की नई-निजी-सवारी-रेलगाड़ी की शुरुआत हुई है
जिसमें अर्द्धनग्न भारतीय युवतियाँ देह उघार करके प्रदर्शित हुई हैं
सरकारी संपत्ति के निजीकरण में विलय से मुझे कोई एतराज़ नही
भारतीय सभ्यता-संस्कृति के उलट ड्रेस कोड से मुझे एतराज़ सही-
मैं ठहरी स्टेशन और वो ट्रेन हो गया है
मैं यहीं हूँ और वो गंतव्य घुम आया है-
रेल मंत्रालय “अनावश्यक भीड़ कम करने हेतु किराया (10 रुपए से बढ़ाकर 30-35 रुपए ) बढ़ाया जा रहा है।”
नोट- हे प्रभु , भीड़ को कम सिर्फ निरोध बंटवाकर किया जा सकता है, किराये बढ़ाकर नहीं।🙏😂-
जीवन की पटरी पर तेज़ी से दौड़ती हुई वक़्त की रेल,
अक़्सर ठहरती है सब्र के स्टेशन पर, एक नया मोड़ लेने-
आज का इतिहास
दुष्यंत जी का जन्मदिवस,
उनकी एक बेहद खूबसूरत रचना...
"तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं...."-
# 25-02-2021 # काव्य कुसुम # साँस #
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मुसाफ़िर है हर शख़्स यहाँ चलती का नाम रेल है ।
जवानी के खिलते रंग तो पल दो पल का खेल है ।
जब तक चलती रहेगी साँसें तब तक ही ज़िंदगी -
ज़िंदगी में रिश्ते-नाते तो पल दो पल का मेल है ।-
मेरे शब्दों का दर्द कहांँ किसी को सुनाई देता है,
वर्णों का बस थोड़ा खेल दिखाई देता है,
होंगे कुछ जिनको शायद समझ में आए ये जुबां,
नहीं तो पंक्तियों की रेल दिखाई देता है।
घूमते रहते हैं ये शब्द भी एक दूसरे के दरमियान,
ना ही दूरी का एहसास दिखाई देता है,
स्वर व्यंजन पूरा करते हैं दर्द-ए-दिल का सफ़र,
यहांँ ग़ज़ल का आभास दिखाई देता है।
रह लो चाहे कितने भी शहर भुलाकर खुद को,
लेकिन लेखनी में आराम दिखाई देता है,
पीछा नहीं छोड़ता अक्षरों का पिटारा "ज्योत्सना",
कैसे तुझको इनमें विराम दिखाई देता है।-