दौड़ है जिंदगी गर मन में चैन नहीं,
दौड़ हैं जिंदगी गर घर में आराम नहीं,
दौड़ हैं जिंदगी गर तन में क्षमता नहीं,
दौड़ हैं जिंदगी गर सक्षम बनने कि चाहत नहीं
-मैत्रेय-
#डरलगताहैं हर इंसान से ऐ मेरे दाता। हर बुद्ध, हर कृष्ण, हर ईशु, हर पैगंबर से कई गुणा ज्यादा बन बैठा हैं इंसान, ईश्वर भी एक क्षण सोच में होगा कि सृष्टिकर्ता और सृष्टि मे क्या फर्क होगा। #डरलगताहैं उस इंसान से जो माने अपने को ईश्वर से ज्यादा मगर डरते हुए हर क्षण जीता हैं।
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उसकी तस्वीर से जब भी बातें कि तो समझ आया कि लोगों कि बुराई और प्रशंसा आपके दुख और सुख का कारण हैं। यही कारण है जीवन में हर क्षण विफल होने का और गमगीन रहने का। जब से उसके तस्वीर से साक्षात्कार हुआ है जीवन का कर्ता-धर्ता मेरा अंतर्मन बन गया हैं। यही अंतर्मन मुझे दूसरों के विचारों से प्रभावित होने से बचाता हैं हर पल।
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जीवन मे कुछ तो सहन करना सीखना ही चाहिए। याद रखे हम में भी ऐसी बहुत सी कमियाँ हैं,जिन्हें दूसरे सहन करते हैं। यही इंसान को बहुत कमाल का बनाता है वही इंसान जिसे वह पसन्द करे तो उसमें कोई बुराई नही दिखाई देता हैं और नफरत करे तो अच्छाई नही देख पाता है। #मैत्रेय
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जीवन में कुछ बातें होती हैं जो मन में छाप छोड़ जाती हैं। उनमें से एक है कि अपनी बातों को सदैव ध्यानपूर्वक कहें। क्योंकि हम जो बातें कहकर भूल जाते हैँ, लोग उन्हीं बातों को याद रखते हैं। #मैत्रेय
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जिंदगी में तुम आओ तो जिंदगी बदल जाएंगी। तुम्हारे तलाश में कई जन्म बिता डाले। कई दरो में सदजा कर आज भी तलाश रहा हूँ कि कही तुम मिल जाओ तो जन्म सफल हो जाएं। दिल का दर्द, अंतर्मन का मंथन किस को बता पाया हूँ अब तक। गर बताऊंगा भी तो कौन है जो महसूस कर पाएँगे। बस अकेला हूँ अब तक तुम्हारे इंतजार में।
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जिंदगी से मैं आज भी खुश हूँ क्योंकि कोई मेरी बात तो करता है। अच्छा हो या बुरा हो तो क्या हुआ मगर याद तो वह करता है।बस एक चोट की ज़रूरत हैं जो बता दे कि आज भी जिंदगी में कोई अपना हो #मैत्रेय #मैत्रेयवाणी
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जीवन में जहाँ हर क्षण आप एक नये चौराहे पर होते है। हर चौराहे के चारों मार्ग भिन्न भिन्न रूप में आप पर हँसते हैं और आपको आकर्षित करने के लिए दुनिया के कई संसाधन आपके सामने प्रस्तुत करते है। जो इंसान अंतर्मन के साथ समनवय रखता है वह ही सत्य मार्ग को पूर्णता प्राप्त करने का सक्षम रखता हैं। #मैत्रेय #मैत्रेयवाणी
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प्रज्ञा, शिल, करूणा का
मार्ग हमें दिखलाया,
विश्वमंचपर 'भारत' हमेशा
'बुध्दभूमी' कहलाया!
- सुहास मुकुंद मोरे
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जानते हो वक्त और दौलत के बीच का सबसे बड़ा अंतर।वक्त के हर क्षण में आपको पता होता है कि आपके पास कितनी दौलत है। लेकिन आप कितनी भी दौलत खर्च करके यह नही जान सकते आपके पास कितना वक्त है। #मैत्रेय
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