#मुझे_नदी_नहीं_बनना
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कविता पढ़ते हुए मैंने पाया
स्त्रियां होती है, नदी जैसी!
निर्झर,पवित्र,शांत!
मुझे नदी नहीं बनना!
पहाड़ बनना है,तुम्हारे प्रेम में!
काली-हरी चट्टानें,
रोक सकें जो, तुम्हारे पास आते
हर तूफ़ानों को!
#मौसमी_चन्द्रा
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22 JUL 2022 AT 20:57