#माँ_नर्मदा_वृत्तांत
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आदिकाल से रेवांचल में प्रचलित लोककथाएं।
मैकल की घाटी कहती,और कहती जलधाराएं।
समुद्रमंथन से निकला था जब तीव्र विष का प्याला।
पात्र सरल था,तीक्ष्ण गरल था,उठती विष की ज्वाला।
कालकूट के तीव्र प्रभाव देख, भाग गए सब भय से।
त्राहि त्राहि करते सब देव, व्यथा सुनाई मृत्युंजय से।
शिव शम्भू ने विषपान किया, नीलकंठ कहलाये।
तीव्र ऊष्मा हलाहल की शिव से भी सही न जाये।
पिया हलाहल महादेव ने, सृष्टि का हर लिया सब संकट।
उष्णित तन से स्वेद गिरा जहाँ कहलाया अमरकंटक।
धन्य अमरकंटक की भूमि,धन्य अमित वन संपदा।
धन्य हो गिरिराज मैकल, जिसकी पुत्री नर्मदा।
महाकाल के स्वेद से जन्मी, शिवकन्या सुरवाहिनी।
हृदय प्रदेश की जीवनरेखा, रेवा, मोक्षदायिनी।
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21 NOV 2020 AT 17:04