✍️ बखेड़ा ✍️
उल्लू की दुम पे पटाखा रक्खा
उल्लू बोला के वजन सा क्यूं है
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फटा पिछवाड़ा उछलकर बोला
धूप निकली है अंधेरा क्यूं है
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आंख बेहतर हैं ज़हन अंधा है
रात गहरी है सवेरा क्यूं है
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रोशनी चुभती है आंखों में “विनय”
और दुनिया में बखेड़ा क्यूं है-
6 MAY 2020 AT 8:08
16 JUL 2020 AT 16:05
अब हाथ जोड़कर क्यूं कहते हो, कि बखेड़ा ना करो,
मैंने पहले ही कहा था कि मैं शायर हूं, मुझे छेड़ा ना करो ...!!-
7 DEC 2019 AT 8:09
अब हाथ जोड़कर क्यूं कहते हो,
कि बखेड़ा ना करो,
मैंने पहले ही कहा था कि मैं शायर हूं,
मुझे छेड़ा ना करो ..।-
22 MAY 2021 AT 8:40
अब बोलती है के बस करो "कुंदन" बखेड़ा ना करो,
मैंने तो पहले ही कहा था,
"मैं शायर हूं मुझे छेड़ा ना करो..."-