फर्ज़ आपने बखूबी निभाऐ
फर्जों को मैंने भी अंजाम दिया
प्यार के रिश्तों को लेकिन
फर्ज़ तले क्यों दबा दिया
अब फर्जों के भार के नीचे
जाने क्यों दम घुटने लगा है
जीना चाहते हैं हम भी लेकिन
सिर्फ प्यार के साये में
एहसान के एहसास से अब
सहमनें लगा है मन-
14 MAR 2022 AT 8:52