अगर तुम चाँद होते तो मैं रोशन रात बन जाती
अगर होते कमल तो बन सबा ख़ुशबू को बिखराती
जो होते ख़्वाब तो पलकों को मैं खुलने ही ना देती
मगर तुम वो पहेली हो जिसे मैं बूझ ना पाती
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किसी को सफलता के लालच में, लटका के रखा है।
किसी को असफलता की धमकियों से, डरा के रखा है।
ज़िन्दगी भी मस्त पहेली है,
सबको अलग अलग खिलौनों में उलझा के रखा है।
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लो ब्याह वचन का, पंचामुख गणपति सन्मुख।
यों वर-वधु सह माथे, पंचकोशी आशीष धरो।।
व्योम में स्थिर इन व्याप्त ग्रहों को कर के नमन।
व्रत नवरात्रि के संकल्प को, अपने शीश करो।।
सर्व लोक की जननी माता, नवदुर्गा भवानी के।
नव रूपों को सुमरि, नए जीवन में प्रवेश करो।।-
कोई उलझी हुई पहेली आज हल हो गई,
मन में नाचा मोर और बादलों में हलचल हो गई,
उसकी एक झलक पाते ही क्या बताऊँ यारों,
मेरी की हुई जन्मों की तपस्या सफ़ल हो गई।-
बोलना..
कई दफ़ा इसलिए भी ज़रूरी होता है
क्यूँकि कुछ ग़लतफ़हमियाँ मिट सकती हैं
कई लड़ाईयाँ रुक सकती हैं..
न बोलना..
कई दफ़ा इसलिए भी ज़रूरी होता है
क्यूँकि कई बातें दब सकती हैं
कई लड़ाईयाँ रुक सकती हैं..
(full in caption)-
पहेली
खोया- खोया सा वो रहता है
इस जहां का नहीं लगता है
रूमानी बातें बहुत करता है
भोली सूरत पर आहे भरता है
फिर भी कोई रिश्ता बनाने से डरता है
हर दर्द अपने दिल में छुपा के रखता है
मेरी आंखो में आंसू देख खुद भी रो जाता है
मुझको उसकी इस अदा पर बहुत प्यार आता है
समझ कर भी उसको समझ नहीं पाती
दुविधा है कैसी सुलझ ही नहीं पाती
मृग मरीचिका सी- बढ़ती जाती
वो बहुत पास है फिर भी पास
न होने का अहसास दिलाती
छूना चाहूं पर छूं नहीं सकते उसे
पहेली यह कैसी उलझन बढ़ती ही जाती ।
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न रास्ता न मंज़िल, न पहचान में सहेली कोई
बेवज़ह इंतज़ार है या है ये इश्क़ की पहेली कोई-
मुख़्तलिफ़ था हमारा प्यार, हमने भी,
गीतों के अंदाज़ में, अपने मोहब्बत़ का इज़हार कर दिया।
मगर वो नासमझ, इसे पहेली समझ, सुलझाने लगे,
और यूं ही, कई अरसा, पार कर दिया।।-
मोहब्बत एक खूबसूरत पहेली है सबकी
मोहब्बत एक खूबसूरत सहेली है सबकी
श़िद्दत से की जाए तभी तक ही साथ देगी
धोखे से की गयी तब तो अकेली है सबकी
इसके साथ बीते लम्हे ख़्वाबों में भी आते हैं
दिल से की हुई मोहब्बत नश़ीली है सबकी
कुछ दिन साथ मिला तो बिछड़ना मुश़्किल है
सिर्फ़ यही तो एक महकती चमेली है सबकी
इस से ना कोई बच सका ना बच सकेगा कभी
जिसने भी की हो ये थोड़ी श़र्मीली है सबकी
माँ,बाप,बीवी,भाई,बहन बहुत से नाम हैं इसके
हर रिश्ते में अपनी ही जगह अलबेली है सबकी
दूसरों से तो बहुत कर ली कभी ख़ुद से कर लो
ख़ुद से जो करता है ये बहुत निराली है सबकी
कुछ लोग हैं जो इसको नापाक करते हैं "आरिफ़"
उनके घर में भी मोहब्बत बहुत ज़हरीली है सबकी
धोखेबाज़ों को "कोरे काग़ज़" के सिवा कुछ नहीं
कलम वालों के लिए तो बहुत सुरीली है सबकी-
नीला रंग है
फिर भी इंद्रधनुष
लिये,
ख़ूबसूरती रंग में हैं या रंगत में,
मुझसे कौन अनजान हो भला,
जब है मुझमे एक सुंदर कला,
मेरी प्रिय भी है मेरी दीवानी,
कहानी श्याम की है
मगर मेरी भी अंबर से जुड़ी है रवानी,
गूँज ही मेरी सुन सब पहचान लेते है,
देखते है इन बातों के बाद
आप मुझे क्या नाम देते है???
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