कोई पूछे.. तो कह दूँ
के ज़िन्दगी क्या राज़ छुपाती है!!
Pls read in caption!-
विरह जुदाई के सहुँ कैसे
तेरे बिन अब मै रहूँ कैसे
जब आई थी मेरे जीवन में
खिला था चेहरा फूल जैसे-
जब हम पहली बार मिले थे
वो तो कॉलेज वाले दिन थे
तुम्हें आते देखा था गेट से
तेरी मुस्कान hart bit बढ़ाये थे-
कहां ढूंढें अब हम तुम्हें, न तेरा चेहरा, न नाम, याद हमें,
याद है तो, वो पहली दोस्ती, जो हमने की थी, साथ तेरे,
अब बस, फ़रियादें कर रहे है खुदा से मेरे,
एक बार मिलवा दे, हमें तेरे से....।।-
...पहली मुलाकात...
पाँच साल बीत गये आज भी याद हैं...
उनका वो हल्का सा मुस्कुराना
और मेरे कुछ second के लिये वक्त का थम जाना...-
सूखी रेत सी थी जिन्दगी हमारी तुम बारिश की पहली बूंद से आए...
और जिदंगी महक गई हमारी ।।-
इश्क़ की कहानी सुनना ....
बड़े ही गौर से ..!!
लेती नहीं हूं मै उनका नाम ....
बस यूहीं जोर से ...!!
लगता है उन्हें इश्क तो है मगर ....
किसी और से ....!!
मगर सनम कहा था उन्होंने मुझे ....
किसी दौर में ...!!
मुझे बुलाते थे "मेरी जान " ...
दिन के शोर में ...!!
अब जो बात उनमें है वो कहा ...??
किसी और में ...!!
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