कैसी है तुझे बेचैनी, कैसी ये कसक है
तेरी नाराज़गी में भी प्यार की महक है
तेरी पेशानी पर लिखा, क्यों दर्द है मेरा
है ज़ुबा पे खामोशी, आँखों में झलक है
तू बात करती है, तो जो सुनाई देती है
वो हँसी है तेरी या चूड़ीयों की खनक है
मेरे लिये होती है तेरी हर दुआ ख़ुदा से
मेरी हर एक जीत पर बस तेरा हक है
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