लोग कहते हैं,
जो तूने मुझे छोड़ा
तो मैं कहाँ से कहाँ पहुँच गया।
देख पगली,
तू जो साथ देती थी
तो शायद ये लोग
मेरी ऊंचाई नाप भी ना पाते।-
मिलन के नाम से ही
क्यूँ अक्सर रूठ जाती हो
बातें बंद करती हो
फिर तुम भूल जाती हो
किस ओर जाती हो
अधूरा छोड़ जाते हो
तलब होठों पर रहती है
तुम दिल तोड़ जाती हो
मिलन के नाम से ही
क्यों अक्सर रूठ जाती हो-
न
कहना
अगली बार
अग्ली हो तुम
पागल बनाया है जिसने मुझे
वो चुलबुली, मनचली, दीवानी, मस्तानी,पगली हो तुम-
मेरी नजरों से देखो ना पगली ,
तेरी तस्वीरों को कैसे संवारता हूं।-
शक्कर नहीं डालेंगे, दूध में इश्क मिलाएंगे हम!
पगली आ बैठ पास हमारे,तुझे चाय पिलायेंगे हम!-
उसको जताना है की ,
अब वो किसी और पर मरती है ।।
पगली है शायद ,
सो सबकुछ मेरे नापसंद का करती है ।।-
आज दिल की खामोशी ने शोर मचाया हैं
दिल की हर उनसे कहने का इरादा बनाया हैं
आज मिलना है उनसे इसलिए हमने खुद को सजाया हैं
माथे पर बिन्दी,आँखों में काजल और हाथों में कंगना खनकाया हैं
रह ना जाये कोई कमी इसलिए हजार बार आइने को दिखाया हैं
आइना बोला बस करों मोहतरमा आज हमारा भी दिल आप पर आया हैं
पर अब बादल ने गजब कहर ढाया हैं तूफानी हवाओं
के साथ आज वो भी धरती से मिलने आया है
हो गया दिल बहुत ही ज्यादा उदास आज क्योंकि
बादल ने मेरी हर मेहनत पर पानी बरसाया हैं
आज सपने संजोये थे मैंने अपने महबूब से मिलन के
पर इस मौसम ने आज उनसे मिलने को तरसाया हैं-
मैं जो जी रहा हूँ , वजह तुम हो ....
ज्यादा खूश मत हो पगली!
ये लाइन मेरी माँ के लिए है..
😀😁😁😁💖💖😀😀😀😀-
वो पगली दर्द से मुख़ातिब होना चाहती है
न जाने क्यों तेज़ाब चखना चाहती है...
कुछ ज्यादा ही जी को, बहला लिया ख़ुशी से
शायद इसलिए दर्द से खेलना चाहती है...
आप रखते हो श़ौक-ए-मल्लिका, दर्द क्या जानो
ये ख़ुदा की बरकत, सिर्फ़ फ़क़ीरों को नसीब होती...
यूँ ही नहीं मिलते, ये कम्बख़त गम
शोलो से खेलने वालों को इनायत कमाल होती...
दुःख जिसने पाया वहीं जाने ज़िन्दगी की असल क्या
सुख की महफ़िल में अक्सर जमावड़े रहते परायों के...-