क्या जरूरत है मुझे इत्र की, बदन पर लगाने के लिए,
तेरा ख्याल ही बहुत है, "पंडिताईन" मुझे महकाने के लिए.....
#पंडित-
10 JAN 2019 AT 10:38
29 DEC 2019 AT 10:29
सुनो पंडिताइन ...❣️
ये लगातार बढ़ती हुई
ठिठुरन भरी रातें और
गंगा की लहरों से होकर
गुजरती ये बर्फीली हवाएं
लहरों को समेट किनारों से
बंधी स्थिर लकड़ी की
वो नाव जिन पर बैठ कर
कभी हमनें घाटों के नजारे
एक साथ देखे थे
आज उन्हीं बेजान पड़ी
नावों को देखता हूं, तो
खुद को बीते समय में
ले जाता हूं और
डूब उन यादों में
बेजान पड़ जाता हूं...मैं
#पंडित-
6 JAN 2020 AT 10:48
ख्यालों के
रथ पर सवार
आत्मविश्वास को
भर सीने में
निकल पड़े है हम
प्रेम के उत्तुंग
चोटियों की ओर
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