हवा के रुख़ से अनजान
सोचता हूँ
पतंग की दिशा निर्धारित कर रहा हूँ मैं
डोर जो है हाथ में मेरे
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15 NOV 2019 AT 21:52
26 APR 2021 AT 14:03
नादान हूं नासमझ नहीं
जो छल और निश्छल
के भेद को ना भाँप सकूं
चुप हूं मगर बेबस नहीं
जो इल्ज़ामों की दीवार
को न लाँघ सकूं
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2 MAY 2024 AT 21:29
दिल की हालत हैं कैसी आ तुझे मैं बताऊं,
धड़कनों की सदाएं आ तुझे मैं सुनाऊं ,
की यूं बेवजह ना खफा हो मेरे हमनाशी,
तोड़ के दिल के टुकड़े आ तुझे मैं दिखाऊं,-
28 JUN 2020 AT 16:04
जब जब लोग जान बूझ कर ना समझ बनते हैं ना ,
तो मेरे पास सिर्फ एक ही विकल्प होता है नजरअंदाज !-
17 JUL 2020 AT 16:57
मेरा दिल इतना भी नासमझ नहीं।
जो तेरे बदलते जज़्बातों को समझे नहीं।-
25 APR 2021 AT 11:26
कि शायद हमारे शब्दों को समझने की
अब समझ नहीं उनमें,
और दिखा सके हम जज़्बात हमारे
अब इतनी हिम्मत नहीं मुझमें
🍁🍁-
14 NOV 2019 AT 23:47
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जैसे कोई छोटा सा बच्चा ,
तुम समझदार हो यारा ,
मेरी माँ की तरह मुझे ,
तुम प्यार करना सच्चा..!!!!-
27 JAN 2020 AT 20:42
सुनो,
मैं थोड़ी नासमझ हूँ
अक्सर नहीं नाप पाती तुम्हारे मन की गहराई
जानते हो ना..!!-