मग़रिबी तौर-तरीके सभी सीख गया हूँ मैं
पर मजा तो आज भी देशीपन में आया है
पहन लूँ, खा लूँ, जी लूँ जितना भी नकली मैं
पर मजा तो आज भी 'ख़ुद' बनने में आया है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
ये चाय वाय हमें ना पसंद है जनाब
कभी हम आए तो लस्सी का इंतजाम रखना...-
हम गवार है चलो अच्छा है दिलों को तोड़ना नहीं सीखा
पढ़े लिखों के जैसे हमने किसी की जिंदगी से खेलना नहीं सीखा
नीचे कैप्शन में मेरी लिखी कुछ लाइन है जो सीधे दिल से निकली है उनके लिए जो हमें गवार समझते थे सामने कहते तो नहीं थे लेकिन समझते जरूर थे
हम थे भी गवार जो उनकी हर बात पर भरोसा भी कर लेते थे ,,,,,,,
please read caption
priyanshu mani tripathi
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जाने कहाँ गुम हो गई, ज़िन्दगी की खुशबू...
सुना है तेरा शहर......तरक्की कर रहा है।-
सुना होगा न ये गाना....
तेरे जैसा यार कहां
कहां ऐसा याराना
याद करेगी दुनिया
तेरा मेरा अफसाना!!
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रै सोच समझ कै पंगा लिए भगत
जिंदगी तै प्यार हमन्नै भी कोनी है......-
गांव की मिट्टी में ही
अब इंसानियत बांकी है,
लोग दौड़ के आते हैं मदद के लिए,
चाहे कोई किसी भी धर्म - जाति का है।
इसलिए गांव को गांव ही रहने दो,
शहर मत बनाओ,
सड़के कच्ची ही ठीक है अपने गांव की,
इसे पक्के का मत बनाओ।-
मक्का नू ना देख छोरी डर जावेगी,
अरे जाट की बॉडी देख के मर जावेगी,
मूछ पे हाथ - बारने आगगे खाट रहवे,
अरे एक खाट पे बाबा एक पे पोता रहवे,
बीच में आग ते भरी चिलम का होक्का रहवे,
कुर्ता धोत्ती तो आन से और पैरों में जुत्ती सान से,
(धामा आशीष)
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मेहतन तै सदा कर्म किया
बुरा किसी का किया कोन्या
भगवान पै भरोसा राख्या
किस्मत तै दोष दिया कोन्या
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