चित्त की चपलता से चिर परिचित सब,
चित्त में विचित्र सी ही झांकियां बनाते हैं ।
सीखे नहीं सुर सरगम कभी जीवन में,
रात दिन गला फाड़ फाड़ गीत गाते हैं ।
लेखन की चाहत में बिना किसी व्याकरण,
कर गह कलम से कागज सजाते हैं ।
पढ़े लिखे मारे मारे घूम रहे यहाँ वहाँ ,
बिना पढ़े लिखे सरकार को चलाते हैं ।
मृदुल बाजपेयी (04/07/20,3:32pm)-
4 JUL 2020 AT 15:37