मेरे सपनों का साकार रूप हो तुम
ए सलोनी परी मेरा अरमान हो तुम ,
चुलबुली,नटखट पापा का मान हो तुम
चेहरे के कंवल यूं ही खिले रहे ,
ओ गुड़िया ,मेरे आँगन की मुस्कान हो तुम|
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तुम्हारी बातें मुझे याद दिलाती हैं अपनी भूली एक कविता,
छिपकर बैठी है जो बचपन की यादों में कहीं
मिला देते हो हर रोज़ उस 'चुलबुली' से मुझे,
खो गयी है जो वक़्त के पन्नों में कहीं
एहसास दिलाते हो यूँ ही बातों बातों में,
उसी में मेरा अस्तित्व छुपा है कहीं
डर लगता है जब झाँकते हो मन की गहराइयों में,
मोह से बने इस संसार में तुमसे प्यार न हो जाये कहीं-
मैं तो तुझे हर पल याद करती हूं,
फिर भी जाने क्यों तुझ पर
Law of attraction
काम ही नही करता।-
ये आसमा मुबारक ये जल मुबारक,
आज मुबारक और कल मुबारक,
जिसमें हो साथ तुम दोनों का,
तुम्हें हर वो पल मुबारक।-
सोचा तुम्हें चांद कह दूं,
फिर लगा नहीं,
चांद तो खुद तुम्हारा टुकड़ा है।-
कोई उसके रंग रूप पर मरा...
तो कोई उसके अनगणिक
तिल का दिवाना हुआ....
बस उसकी मासुमियत ,बचपने ,
चुलबुले पण पर कोई भी
दिल ना आज तक हरा.....-
उस मासूम सी लड़की ने
अभी भी अपना बचपन छुपा रखा है
तभी तो कभी कभी
बच्चों जैसी शरारतें करती है ।-
कभी कभी वो बहुत कुछ कहती है
कभी कभी वो जानें क्या कहती है
वो चाहती है कि सब कुछ बता दे
सारी बाते कर ले
फिर अपनी ही बातो में मासूमियत से उलझ कर रह जाती है
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चुलबुली सी लड़की है वो,
हरकतें बिल्कुल नटखटी,
दिनभर बातें करती है वो,
चाट जैसी चटपटी,
उसकी ही बातों में दिल खोने लगा है,
यारों लगता है मुझे प्यार होने लगा है ।।
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