"दिल में क्या दर्द है?
ये कोई जानता ही नहीं ।
किसी और हसीन चेहरे से,
ये दिल मानता ही नहीं ।
दिल तो पागल है,
इसे कौन समझाए?
ये चाहता है जिसे,
वो शक्स जानता ही नहीं ।"
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जी तो चाहता है कि तुझे दिल में छुपा लूँ मैं
मगर न कभी वक़्त ने इजाजत दी ना तुमने-
कोई बात है जो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ ,
तुम यकीं करो मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं।-
मैं नहीं चाहता, फूल सी नाजुक हो तुम
इस ज़ालिम दुनियां से लड़ना है तुम्हें
-©सचिन यादव-
मैं चाहता हूँ मेरा भी कोई उस्ताद हो
मगर
ये नहीं चाहता कि हर कोई मुझपर उस्ताद हो-
मैं अकेला था तब मैंने
बहुत सारे दर्द बयां की है
अपनी किताबों में ,
उस सारे दर्द को मैं
कम करना चाहता हू,
मैं एक बार फिर से
अपनी दस्ता सुनाना चाहता हूं-
मैं आभास लिखना चाहता हूँ.
एक एहसास लिखना चाहता हूं.
तू इजाज़त देदे मेरी लेखनी को,
मैं तुझको लिखना चाहता हूँ.-
मुद्दतों से एक आरजु हैं तुझे लिखने की,
पर कोई जरिया भी नही तेरी यादों के सिवा!-
मुझे एहसास लिखना हैं,
वर्णन क्यों करूँ.
मुझे आभास लिखना है,
ग्रंथ क्यों लिखूँ.
मुझे शीर्षक, सूक्ति सा
उसे यूँ लिखना है,
कि या तो वह समझे
या फिर मैं समझूँ-
तुम्हारें गमों को कम करना चाहता हूँ
तेरे सारे दुःख खुद लेना चाहता हूँ ।
करता हूँ तुमसे मोहब्बत इस दुनिया में
तुम्हें हर हाल खुश देखना चाहता हूँ ।-