मिले थे हम तुम ख़्यालों में
उस रात की बात ही कुछ और है
मोहब्बत तो तुमसे भी बहुत है
पर चाय की बात ही कुछ और है...-
फिर क्यों है गुमसुम..
तू और मैं घुले रहे जैसे दूध , चीनी और पानी..
बहुत ही खूबसूरत है अपनी प्रेम कहानी...
जो चलती रहे पूरी ज़िन्दगानी..।।
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चाय ठंडी हो रही है
दो कप, उस शाम के इंतजार में
पियालों पे तेरे होंटो के निशान
जो शायद ही उन्हें नसीब हों
ओर मुझे वो शाम
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हकीम साहब ने कहा है मर्ज़ फ़ैल चुका है l
लाज़िम है तुझे सुबह-शाम चाय मिले ll
حکیم صاحب نے کہا ہے مرض پھیل چکا ہے-
لازم ہے تجھے صبح شام چائے ملے--
वो पल भी कोई पल है ।
जिस पल में तेरा एहसास न हो ....|
वो चाय फिर चाय कैसी ।
जिसमे तेरे होंठो सी मिठास न हो...|-
यूँ ठहरा है मिरे लबों पर इक मटमैले से इश्क़ का स्वाद
घोला हो किसी ने गोया निहाँ इश्क़ अदरक के बाद ।।
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बरसात में घुल रही है महक अदरक की
आज बूंदों को भी चाय की तलब लगेगी-
कदम वहीं रुक जाते हैं, जहाँ कोई कह दे कि,
"रुको चाय बन रही है...... पी कर जाना !"
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