#गुलाबी_चिट्ठी
#moshmi_chandra_lv_quotes
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चांद पर कविताएं,
पुरानी हो गई!
नदी,पहाड़,जंगल,जुगनू,तितली,
सब पुराने!
बूढ़े बड़ पर बंधा धागा भी,
टुटहा हो गया!
वक्त की घनी चुप्पी में,
सब खो गया!
सड़कें पगडंडी बनी और,
पगडंडी वापस मिट्टी!
समय कहां संभाल पाया,
ख्वाबों की गुलाबी चिट्ठी!
#मौसमी_चंद्रा
स्वरचित-
17 JUN 2024 AT 23:13