ग़लती मेरी थी, जो टूटे को सहारा दिया,
अफ़सोस, उसने जुड़ने के बाद मुझे किनारा किया।
जिसे अपनी रूह से ज्यादा संभाल रखा था,
उसी ने मेरे दिल को बेरहम सा तोड़ा था।
मैं दरिया था, उसे साहिल की तलाश थी,
डूब कर मेरी मोहब्बत में, किनारे की आस थी।
वो जुड़ा, तो लगा ज़िंदगी संवर जाएगी,
पर जुड़कर भी, वो मुझसे बिछड़ने की वजह लाएगी।
अब खामोशी ही मेरी ग़ज़ल बन गई है,
इश्क़ मेरा खुद मेरे लिए सज़ा बन गई है।
#कुछ_बाते_जज्बात_की ✍️✍️✍️✍️-
14 MAR AT 22:54