उसने पूछा, "ईद मनाते हो ? "
हमने कहा, "तुम्हें देखकर "
~दीपा गेरा
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हर दर पे गंगा है, हर घर में भोले है
कोई इसको शिवपुरी,कोई काशीनगरी बोलें हैं
वरुणा और असि के मध्य बसा,
कोई इसे बनारस तो, कोई वाराणसी बोलें हैं
~दीपा गेरा
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बागबाँ ने गुज़ार दी उम्र देखभाल में
कसाई ने घड़ी ना लगाई, कलियां काटने में
~दीपा गेरा
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रावण आज भी जल रहे
नृशंस /बलात्कारी कहा मर रहे ?
अवतरण लो माँ अनुरोध है...
अब तो विनाश हो...!
दुर्जनों का नाश हो...!
(शेष अनुशीर्षक में)
~दीपा गेरा-
सूरज को भी चाँद होना है,
यूँ ही बस दाग-दाग होना है...
चाँद को भी एक और चाँद चाहिए...
सुन सके उसे कोई ऐसा राज़दार चाहिए...
~दीपा गेरा
(पूरी रचनाअनुशीर्षक में...)
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हम बाँसुरी पर लिखेंगे, तुम तान लिखना
हम गोपियों पर लिखेंगे, तुम इंतज़ार लिखना
हम अधरों पर लिखेंगे, तुम मुस्कान लिखना
~दीपा गेरा
(शेष अनुशीर्षक में )-