कहाँ गई वो जुल्फों की छइयां
जहां आए हमको मीठी निंदिया रे ,
वो झिलमिल दुपट्टों के साये,
जो बनते थे बादरिया रे ,
वो शोर शराबे तेरे मुहल्ले के,
तेरे शहर की डगरिया रे,
वो तेरे हाथों की हिनाएं,
तेरे नयन की काजरिया रे,
याद तू आए रोज सताए ,
चैन न पाए हम दिन दुपहरिया रे,
गई छोड़ के हमको ऐसे तू,
छोड़े हमको जैसे रोज उमरिया रे,
हम रोज ही जोहें कि काश तू आए,
कान्हा बिन रोए जैसे मीरा बावरिया रे,
कहाँ गई वो जुल्फों की छइयां ,
जहां आए हमको मीठी निंदिया रे।।-
13 JUL 2019 AT 0:32