शव हूँ मैं शिव बिना, शव में भी शिव का वास,
हैं शम्भू आराध्य मेरे , मैं तो हूँ भोले की दास ॥-
आपके साथ तो सब खास है,मैं कौन सा किस्सा लिखूं
बयां कैसे करूं आपको, मैं खुद आपका ही हिस्सा हूं..!
माँ से हर दिन है,माँ ही ज़िंदगी मेरी, आप पर मैं जान दूं
फिर बताओ माँ,ममता का सिर्फ एक दिन कैसे मान लूं?
- ऋजीषा_❣︎
// अनुशीर्षक में पढें //-
हकीकत में,
बहाने से ख़ुद को ही मैंने आज लिखा है...
-ऋजीषा_❣︎
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अगर आज है दिन का उजाला;
तो कल चांदनी भी साथ होगी।
मुसाफ़िर हैं हम मुसाफ़िर हो तुम भी;
फ़िर किसी मोड़ पर, मुलाक़ात होगी।
अगर मुशिकलों से शुरु दिन है;
तो ज़रुर सुकून भरी रात होगी।
मुसाफ़िर हैं हम मुसाफ़िर हो तुम भी;
फ़िर किसी मोड़ पर, मुलाक़ात होगी
हां माना, वक़्त आज बेहद है बुरा ;
पर कल किस्मत बेशक़ साथ होगी।
मुसाफ़िर हैं हम मुसाफ़िर हो तुम भी;
फ़िर किसी मोड़ पर, मुलाक़ात होगी।
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बांधे रखे जो मोह है,न कि है प्रकृति प्रणय की
जग से विरक्ति अव्यय रही है रीत प्रणय की💙-
रोज़ किसी न किसी
बात पर क्यूं डरते हो?
यूं ही डरकर ख़ुद को
कमज़ोर क्यूं करते हो?
-ऋजीषा_❣︎-
" दोस्त, मैं साथ दूंगा तुम्हारा! "
//अनुशीर्षक में पढ़ें//-
दो घूंट स्वाभिमान के आज पीलो
कब तक बंधनो में ही जकड़े रहोगे
जीवित हो,यदि स्वाधीनता धारण करोगे
पीना छोड़ो विश्राम की मादक मदिरा
है समय उठने का, थामो अश्रु सरिता
सुख सपनों को मत तोड़ो अब तुम
जी बहलाकर जीते रहना छोड़ो तुम
जीवन संग्राम की इस मधुशाला में
दो घूंट स्वसंग्राम के तुम आज पीलो
हो संघर्ष कितना भी, तुम लड़ते जाओ
कर्म करो निरंतर,बस आगे बढ़ते जाओ
— ऋजीषाहम्_♥-
चमक न सही,पर पकड़ मज़बूत मिट्टी की ही होती है,
संगमरमर पर तो अक़्सर पैर फिसल जाया करते हैं...!-