इन्सान, तू अपनें कर्मों को पहचान
इससे पहले कुछ नहीं देगा भगवान
दूसरों की मदद् के लिए तू आगे बढ़
इससे पहले नहीं मिलेगा तुझे सम्मान
बहुत मिलेंगे तुझे लालच देने वाले "आरिफ़"
बच ले, इससे पहले वो बना दें तुझे भी हैव़ान
ज़िन्दगी बहुत अनमोल मिली है ये जान ले तू
बोल ले, इससे पहले हो जाए बड़ों का अपमान
"कोरा कागज़" ही अब रह जाएगा तू दुनिया में
नेकी कर, इससे पहले लिख जायें गुनाह तमाम।
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