QUOTES ON #आगग़ज़ल

#आगग़ज़ल quotes

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21 AUG 2018 AT 9:31

छुआ नहीं तुमने ये बात छू गयी
मुझको वो पहली मुलाकात छू गयी

ख़्वाबों में देखती हूँ राह अब तेरा
साथ तेरे गुजरी जो रात छू गयी

दुनिया की सारी खुशियाँ है मिल गयीं
जैसे कि मुझको क़ायनात छू गयी

भीग गयी मैं तो प्यार में तेरे
बिजली को जैसे बरसात छू गई

दिल पे मेरे तुमने लिख दी ग़जल
कलम तेरी मेरी दवात छू गयी

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19 MAR 2018 AT 21:42

पास बुलाकर दूर चले जाना, आदत बन गयी लोगों की
पहले हँसाना, फिर रुलाना, आदत बन गयी लोगों की

अपनों से दिल का हाल छुपाना, आदत बन गयी लोगों की
गैरों को सबके राज बताना, आदत बन गयी लोगों की

घड़ियाली आँसू बहाना, आदत बन गयी लोगों की
झूठा अपनापन दिखाना, आदत बन गयी लोगों की

बात बात पर शोर मचाना, आदत बन गयी लोगों की
नये बहाने रोज बनाना, आदत बन गयी लोगों की

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28 SEP 2019 AT 17:55

कमरे से अपने निकलता नहीं हूँ
खिड़की तक तुम्हारी मैं आऊँ कैसे?

अँधेरे से रिश्ता जुड़ गया है मेरा
रौशनी से नज़र अब मिलाऊँ कैसे?

देख न सको गर जो मेरी खुशियाँ
ज़ख्म तुम्हें अपना दिखाऊँ कैसे?

समझने लगे हो नैनों की भाषा
दर्द तुमसे अपना छुपाऊँ कैसे?

गीत वो मुझको अब समझ है आया
"लागा चुनरी में दाग, मिटाऊँ कैसे?"

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4 NOV 2019 AT 6:19

हम तो खुश हैं पढ़कर ज़िंदगी की किताब को
पढ़ने को अब कोई किताब नहीं चाहिये

ज़िंदगी से बढ़कर कोई ख़्वाब नहीं हमारा
ज़िंदगी है तो और कोई ख़्वाब नहीं चाहिये

महकती है हमारी ज़िंदगी दोस्ती के फूलों से
दोस्त हों आपसे तो गुलाब नहीं चाहिये

एक अलग ही नशा है आपकी दोस्ती में
दोस्त हों आप से तो शराब नहीं चाहिये

छुपा लेते हैं ग़म अपना मुस्कुराकर महफ़िल में
हमें खिलखिलाता हुआ कोई नक़ाब नहीं चाहिये

ख़ुश हैं अपना दर्द दोस्तों को सुनाकर
महफ़िल में वाहवाही ज़नाब नहीं चाहिये

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2 OCT 2019 AT 8:26

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25 MAY 2017 AT 22:45

पैसे के लालच में, लाचार आदमी
आदमी का करता, शिकार आदमी

चाहता है दौलत, बेशुमार आदमी
खुद ही बन जाता, बाजार आदमी

लेता जब भी पैसे, उधार आदमी
हो जाता है फिर, बीमार आदमी

छोड़ देता देखो, घर बार आदमी
करता घर में खड़ी, दीवार आदमी

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28 OCT 2018 AT 22:09

सुनो तुमको तुम्हारी ही, मैं दास्ताँ सुनाऊँगा
अगर तुम राह भटके तो, मैं रास्ता दिखाऊँगा

किसी को मिल रहा ज्यादा, किसी को मिल रहा कम है
यहाँ तक तुम जो पहुँचे हो, तुम्हारा ही परिश्रम है

किया तुमने है जो जो भी, तुम्हें मैं आज बताऊँगा
सुनो तुमको तुम्हारी ही, मैं दास्ताँ सुनाऊँगा

किसी ने कर्म को पूजा, किसी ने धर्म को पूजा
अकेले ही तुम जाओगे, नहीं होगा कोई दूजा

तुम्हारी आँखों के आगे, मैं सारा भ्रम हटाऊँगा
सुनो तुमको तुम्हारी ही, मैं दास्ताँ सुनाऊँगा

तुम्ही को न्याय है करना, भला क्या है क्या है मंदा
तुम्हारा ही गला होगा, तुम्हारा ही होगा फंदा

सबक नया नहीं कोई, जो  मैं तुमको पढाऊँगा
सुनो तुमको तुम्हारी ही, मैं दास्ताँ सुनाऊँगा

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12 JUL 2019 AT 23:39

हम न होते तो कौन है रहता साथ तुम्हारे
कब तक तुम को छूते रहेंगे हाथ तुम्हारे

तन्हाई से कब तक करेंगे समझौता हम
थक गये ख़्वाबों को दे दे न्यौता हम

छोड़ दिया क्यों तुमने सपनों में आना
गिनती नहीं क्या हम को अपनों में ज़ाना

जाने कैसे कब तुम्हारा दिल पिघलेगा
रात जलेगी, तुम जलोगी, "आग" जलेगा

जाने कब होगी हम पर प्रेम की बारिश
"आग" कर रहा आग बुझाने की सिफ़ारिश

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8 APR 2020 AT 16:57

कहो मेरी कहानी का किरदार बनोगी?
भूल कर संसार को, संसार बनोगी?

दीप जलेंगे रातों में, दिन में रंग खिलेंगे
होली और दीवाली सा, त्यौहार बनोगी?

तेरी देह की खुश्बू से महक उठे तन मेरा
क्या तुम मेरी सादगी का, शृंगार बनोगी?

हटाऊँ जो तेरा घूँघट, तो देखूँ चाँद सा मुखड़ा
बन जाये खास ये जीवन, जो उपहार बनोगी।

झुकी झुकी इन नजरों, से पूछ कर बतलाओ
घेर कर अपनी बाहों में, तुम हार बनोगी?

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3 SEP 2017 AT 6:15

मुझे मुझसे इक बार मिला दो कोई
आईना इक ऐसा दिला दो कोई

मेरी उम्र भर की बुझा दे जो प्यास
जाम इक ऐसा पिला दो कोई

मेरी जिंदगी को महका दो आज
गुलाब इक ऐसा खिला दो कोई

बेशर्मियाँ मेरी ढक दो जरा
लिबास इक ऐसा सिला दो कोई

मेरी धडकनों को जगा दो जरा
हौले से दिल को हिला दो कोई

रुक गयी हैं देखो साँसे मेरी
लबों से लबों को मिला दो कोई

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