QUOTES ON #अंजलिउवाच

#अंजलिउवाच quotes

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6 NOV 2020 AT 6:34

अगर तुम चाँद होते तो मैं रोशन रात बन जाती 
अगर होते कमल तो बन सबा ख़ुशबू को बिखराती 
जो होते ख़्वाब तो पलकों को मैं खुलने ही ना देती
मगर तुम वो पहेली हो जिसे मैं बूझ ना पाती

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14 NOV 2019 AT 6:01

ऐसे समय में जब कि
कोहरे से गगन धुंधला दिखे
हर आदमी बदला लगे
आठों दिशा वीरान हों
मस्तिष्क भी निष्प्राण हो
ऐसे समय में साथिया
ले हाथ तेरा मैं चलूं
ले हाथ मेरा तुम चलो

जब द्वंद्व इक अंदर चले
तूफाँ औ' बवंडर चले
आहत ये दिल बौराया हो 
ना धूप हो ना छाया हो
ऐसे समय में साथिया
कुछ बात तेरी मैं सुनूं
कुछ बात मेरी तुम सुनो

विपदा भी फ़िर हट जाएगी
मुश्किल घड़ी कट जाएगी
नव प्रातः होगा अंकुरित
नव चेतना भी संचरित
हम साथ होंगे साथिया
गर प्यार तुमसे मैं करूँ
गर प्यार मुझसे तुम करो

Anjali राज








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18 AUG 2019 AT 7:11

सागर में आ गिरे ये गगन
और धरती हो रहे जलमगन
अग्नि में जल जाए ये पवन
तुमको इससे क्या ?

तुमको खुद से प्यार बहुत है
जग पर ये उपकार बहुत है
मुग्धता का विस्तार बहुत है
हुआ करे जो मूल्यों का पतन
तुमको इससे क्या?

खुद की सुनना खुद को गुनना
स्वार्थ को सबसे पहले चुनना
सुंदर कल के सपने बुनना
वर्तमान का हो रहे हनन
तुमको इससे क्या?

Anjali राज





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5 JAN 2020 AT 7:49





देखा देखी ब्याह किया था हमने भी।
हो कर बेपरवाह किया था हमने भी।

खरबूजे को देख बदलता खरबूजा,
इसका सच निर्वाह किया था हमने भी।

सुनने वाले सीना ताने कहते हैं,
"मत करना, आगाह किया था हमने भी"।

किया मुकर्रर कैद ए बामशक्कत को,
आम सा एक गुनाह किया था हमने भी।

देख विवाहित जोड़ों की रंगीनी को,
रोशन अक्ल को स्याह किया था हमने भी।

फ़टी बिवाई लिए पैर ही समझेंगे,
कैसे खुद को तबाह किया था हमने भी।

Anjali राज








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4 JUN 2019 AT 6:43

हैं खाली कुर्सियां अब ऊंघती सी बल्ब के नीचे।
है सन्नाटा सा पसरा मंच के अब आगे और पीछे।

वो कोलाहल जो दिन भर था गरजता मंच के ऊपर,
कहीं जा सो गया है कोने में अब आंखों को मीचे।

चमकती रोशनी, वो तालियां, तारीफों की गूंजें,
पड़ी हैं पस्त ओर ख़ामोश अपनी मुट्ठियाँ भींचे।

न दर्शक और न श्रोता ना कोई नायक न खलनायक,
है नाटककार बैठा बस समय के चीर को खींचे।





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13 JAN 2020 AT 23:10






ये तेरी अदाकारी,
लगती है इक शिकारी।
आदम के बांकपन पर,
हरदम पड़ी है भारी।
तू पान की गिलौरी,
ये पान में सुपारी।
इसके बग़ैर नर को,
फ़ीकी लगे है नारी।
जिसपे चलाए जादू,
हो इश्क़ का पुजारी।
नर, दैत्य, देव हारे,
ये शस्त्र तेरा, नारी!

अंजलि राज












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12 JAN 2019 AT 6:25

बचाना है
थोड़ा सा बचपन,
थोड़ा बिंदासपन,
थोड़ी नज़ाकत,
थोड़ी शरारत!
हर रिश्ते में
कुछ खुद को,
और खुद में,
कुछ दूजे को,
एक सच्ची दोस्ती,
रिश्तों में कुछ संज़ीदगी,
जीने में थोड़ी ज़िन्दगी,
बचाने की ज़रूरत है।

अंजलि राज

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14 JAN 2019 AT 16:33

शुभ घड़ी आयी है।
छाई तरुणाई है।
सूरज के अंगना में,
बजी शहनाई है।
दिन के ये बारजे,
देख धूप से सजे,
नया रंग ढंग लिए,
नयी सुबह आयी है।
धन और धान्य बांट,
रोग शोक दुःख काट,
पीत शीत की न पड़े,
कहीं परछाईं है।
ठण्ड को समेटने,
संकरात आई है।

अंजलि राज

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19 DEC 2018 AT 21:59

गुनगुनी सी धूप में संग बैठकर
बातोँ की लें चाय के संग चुस्कियां
कुछ कहें अपनी औ' कुछ उसकी सुनें
उनींदी सी गरमाहटें हों दरमियाँ
यूँ ही लिपटे धूप के पश्मीने में
बीत जाएं ये ठिठुरती सर्दियाँ


अंजलि राज

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28 FEB 2020 AT 22:28


Crazy for height?
You dream in darkness,
O My Worthy Writer
Would anyone please
Show him some light!?

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