खोल कर देख कोई किताब....
दो पन्नौ के बीच दबी मोहब्बत की अधूरी कहानी हूँ-
अब तो मुश्किल बड़ी है.... इन आँखों को
रात भर जो जगती है....... किसी की यादों में-
लिख दी थी कुछ अन् कही बातें उन पन्नों पर
जो लबों से न कह सकी.......
लगता है....आज भी बेखबर है इश्क़ से मेरे
कहीं वो चिट्ठियां तो नहीं खो गईं-
मोहब्बत मे खुदको तड़पते देखा
तन्हा रातो मे खुदको जगते देखा
सबसे छुपकर कहीं अकेले खुदको रोते देखा
और इन आँखों ने तो बस
खुद की बेबसी का मंजर देखा-
झूठी हंसी के साथ अपनी मोहब्बत को ही भुला दिया
पर अभी भी जिंदा है तेरी कुछ यादें.....
बस इन्हें मन के एहसास मे कहीं दबा दिया-
कितने दिवाने टूट कर बिखर गये मोहब्बत के रास्तों में
पलट आ ओ मुसाफ़िर
मुक्कमल हो हर राह इश्क़ की यहाँ....इतना आसान नही
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जिंदगी की तन्हाई ने तो बस खामोश कर दिया है
पर आंखों की गहराई ने सब कह दिया
वक्त कहीं बीत गया... किसी की याद में
और रात भर जगी रही ये आंखें..... ख्वाब के इंतजार में-
जहाँ हर राज को बंद किये बैठा है ये दिल
एक अजब सा इश्क़ है जिसे कैद किये बैठा है दिल
बहुत सी यादों का आशियाना है........
शायद दिल कोई तहखाना है!-
इश्क़ मे बहुत रुलाए गए हम
मुद्दत बीत गया...
अभी तक मुस्कुराए नहीं हम-