नारी का जीवन
जैसे विचित्र एक कहानी
बंदिशें है समुन्द्र जितनी
त्याग जितना कि समुन्द्र में पानी ।।
नारी का जीवन
जैसे विचित्र एक कहानी
संघर्ष है आकाश जितना
पर है उड़ते चील,कौवों से अनजानी।।-
कभी कभी ,कुछ बदलने से
बदल जाता है बहुत कुछ ।
तब थोड़ा संभलने से
संभल जाता है बहुत कुछ ।
आज अगर हार ही गए तो क्या हुआ,याद रखो
गमों का गर्दिश भी सिखलाता है बहुत कुछ ।।
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मुश्किलें इतनी भी बड़ी नही होती दोस्त,
जितना वो अक्सर दिखा करतीं हैं।
ये तो बस उन वैश्याओं की तरह होती हैं,
जो अपने समय पर खूब बिका करती है।।-
जो लोग खुद से रोज जंग लड़ा करते है,
यक़ीनन,हासिल वो जीवन मे कुछ बड़ा करते है।
यूं ही नही मिल जाता सबकुछ उन्हें
आग में तप कर हर रोज वो,अपनी मूरत खुद गढ़ा करते है।।-
अच्छे अच्छे लोग यहां अक्सर बदल जाया करते है,
जब दुसरो के घर मे लगी आग बुझाते बुझाते
उनके कच्चे मकान जल जाया करते हैं।
बहुत तकलीफ़ देती है कुदरत उनलोगों को
जो वक़्त के सांचे में ,जल्दी नही ढल पाया करते है।
बस एक गुज़ारिश है ,ऐ दोस्त आज तुमसे
वक़्त रहते खुद को संभाल लेना,
भावनाओ में मत बह जाना
आग बस्ती की बेशक बुझाना, पर उससे पहले
अपने कच्चे मकान कि छत पे पानी डाल लेना।।
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यहां हर मन में है एक कोना,जिसमे छुपी है एक कहानी
कहीं ना कहीं हर किस्से में की है सबने खुद से एक बईमानी,
ना किसी ने हार ही है मानी,ना ही लड़ने कि है किसी ने ठानी।
यहां हर एक मन में है एक कोना,जिसमे लिखी है एक कहानी
बिना शब्दों कि एक किताब जिसकी श्याही,आँखों का पानी।
यहां हर एक मन में है एक कोना,जिसमे जली है एक कहानी
तक़लीफ़ हुई जलने से जिसके पर राख से भी मिली सुकून रूहानी।
यहां हर एक मन में है एक कोना,जिसमे अमर है एक कहानी
हर मोड़ पे शायद याद आये जिसके किरदारों की नादानी।।
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अगर
तो बदल जाओ,
समय शेष है अभी
संभल जाओ।
बैठ कर कब तक सोचोगे यूं,
जो करना चाहते हो
वो अभी कर जाओ।।
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रोया अगर कोई तुम्हारी वजह से
तो तुम्हे भी ये रुला देती है,
जिंदगी है ये सजा देती है।
आंख लड़ती है ,इश्क़ होता है
हसरतें ये बढ़ा देती है,
जिंदगी है ये नशा देती है।
वक़्त बीतता है,उम्र बढ़ती है
सभी गमों को भुला देती है,
जिंदगी है ये हसा देती है।
सपने देखते हैं,उम्मीदें बढ़ती है
रातों की नींद ये उड़ा देती है,
जिंदगी है ये वजह देती है।।
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गुम हो जाओ कभी चलते - चलते
तो मंजिल हमे दिखा देती है,
जिंदगी है ये पता देती है।
भूल होती है, इल्जाम लगतें हैं
झूठा हमको बना देती है,
जिंदगी है ये फ़सा देती है।
दिल टूटता है ,दर्द होता है
फिर जख्म भी ये मिटा देती है
जिंदगी है ये दवा देती है।
साथ मिलता है ,दोस्त बनते है
हर वक़्त मुस्कुराना सिखा देती है
जिंदगी है ये मज़ा देती है।।-
काल के इस भवँर में
कठिनाइयों के इन प्रहर में
कर्तव्य को सारथी मान
लक्ष्य के अनमोल पथ पर
अब बिन रुके,मैं चलूँगा
आरम्भ जब मैंने किया
तो अंत भी मैं ही करूँगा।
सिर्फ योजना नही अब युद्ध होगा
मनस भी मेरा शुद्व होगा
गलतियों से सीख लेकर
मुझे रोकने वाली खुद की बुराइयों से
अब बिन रुके मैं लड़ूंगा
आरम्भ जब मैंने किया
तो अंत भी मैं ही करूँगा।।-