यादों के कारवाँ में आज,
चंद लम्हों के मेहमान हैं हम
दिल की सूनी गलियारों में ,
खोयी गलियों में ग़ुमनाम हैं हम ।
खट्टी -मीठी कुछ बातें हैं वहाँ
कुछ नमकीन से किस्से हैं
कई पन्ने कोरे -सादे हैं
बिखरे - बिसरे कुछ वादे हैं
उन वादों की ख़ामोशी में
कुछ हद तक बदनाम हैं हम,
आज यहाँ इस मोड़ पे भी
दिल कहता है नादान हैं हम ।
सिमटी सहमी एक ख्वाहिश है
गुज़रे पलों की लकीरों में
सब रिश्तों की अपनी कहानी है
मन की धुंधली तस्वीरों में
उन तस्वीरों के एक चहरे से
फिर भी अब तक अनजान हैं हम,
आज यहाँ इस मोड़ पे भी
दिल कहता है नादान हैं हम ।
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