Jara gor farmayiye,
Ki hum bhi av kasti me hai
Door hai kinara mgr masti me hai,,
Hai tairti shafri samutthan me
Hai madmast Pawan fijaan me
Ye Kon Roop lele dar nhi
Hai jabaaj irade,,
kore khayalat nhi.....
Rokne ko raste lahro m ufan hai
Garajte megh bhi ab sath hai
Doob rahi jese kasti bhi Meri
Hai sambhalna mujhko
Ki Koi sath nhi
Paar Kar jeetna hai,harna nhi,,
Hai jabaaj irade,,
Kore khayalat nhi......
_urvashi namdev
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शहर की चकाचौंध से,
गांव की अंधियारी भली,,
चमकते चेहरों से,
सांवली सूरत भली,,
मीठी ज़ुबान की कड़वाहट से,
कड़वे बोल भरी मिठास भली....
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तुमको दिल मे कुछ ऐसे बसाया हैं,,,,
जैसे गंगा ने बनारस को बसाया हैं!!-
हर शाम सुकू को महफूज़ कर लेते हैं,,
जब भी तन्हा होते है
तुम्हें महसूस कर लेते है..-
हम चीरने लग जाए
गर इज़्ज़त तुम्हारी
तो,,,,
कोई दर्जी भी ना सी पायेगा...-
बस कुछ इस तरह से दिसंबर का अंजाम हो...💕
कि मेरी आने वाली हर जनवरी मे तेरा नाम हो...💕-
सुना है शौक़ है आपको,,,
हुकूमत का.....
ये दिल सल्तनत है आपकी,,,
बस राज कीजिऐ....-
जिंदगी के बहीखाते में तेरे हिसाब बहुत हैं,,, मूल में इश्क़ और ब्याज़ में पर्वाह बहुत हैं....
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कहीं गुम हो गयी नज़ाक़ते,
वो शब्द अंश और मायने,,
छुपा छुपी का खेल खेलती,
पद छन्द वाली रचनाएँ,,
कभी कोयल की कुहुँ तो,
कभी कृष्ण की बांसुरी जैसी,,
सुर ताल से लय-मय,
वो संगीत मयी *कवितायेँ*......
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Hum,,,,,,,
जितना करीब आये थे,
जनवरी से दिसंबर तक
उतना ही दूर हो गये,
दिसंबर से जनवरी तक.....
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