चार दिवारी में🔥
उस चार दिवारी में,
मुश्किलें थी पर भरोसा था....
वक़्त कम था पर जुनूनीयत थी !!⭐
कोशिश थी कायनात को बचाकर हसीन हयात बनाने की
उस अनदेखी जंग में जीत हासिल 💓करने की !!!
खामोश था जहान , उम्मीदों का नूर था,
मगर तबाही में फना होने का डर था,😥
उस चार दिवारी में 🙃......
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25 APR 2020 AT 11:12
21 MAY 2020 AT 7:34
बिकराल था तेरे कारनामें,
दुर्जन था तेरा मुखौटा,
तू डराता और हम डरते गए,
हेवानियायत से तूने देश को लुटा।
दर्द था और डर भी,
खुअफ़ था और केहर भी,
मुराद था तबाही की
और नफरत का वो गरज भी।
सरहाद पर लहू की धारा बहाया
मासूमों को तूने क्यों रुलाया??
क्या है जवाब इस सवाल का
क्या था कुसूर , गुनाह क्या था
जो तूने सैतान बन कर अतांक फैलाया।
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