इन्सान का हकीकत
आदमी जब जन्म लेते हैं,तो कितना भोला होता है।
जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है।
वह अपने जीवन में कुछ खास करने की तमन्ना रखता है।
कुछ तो अपने परिवार को खुश रखने के लिए खुद के अरमान को जला देता है और कुछ खुद के अरमान पर कायम रहते है, परिवार के समक्ष या विपक्ष हो कर भी।
साथ ही इन्सान उम्र के साथ-साथ अपनो के चेहरो पर मुस्कुराहट लाने लिए खुद के दुखी और खुशी को जाहिर करना और छुपाना भी सीख लेते हैं।
पर हर परिवार में सही सोच को समझने के लिए सही समझ वाले का होना जरूरी है।
नीतिश राज़ यादव
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