खुले "मैदान" में हो
या फिर बन्द "पिंजरे" में हो,
शेर शेर होता हैं
आज भी तुम्हारी "औकात" नहीं,
मेरे "मैदान" में उतरने की।-
23 OCT 2020 AT 20:59
2 MAR 2020 AT 22:26
चुनाव तो जंगल में भी हो सकते हैं,साहब
लेकिन शेर के सामने खड़ा होने वाला
कोई उम्मीदवार नहीं हैं।-
10 JUL 2018 AT 7:57
जिन्दगी उन्हें ही खुशियां देती हैं,
जो हर लम्हें को खुलकर जीते हैं।-
30 MAR 2021 AT 22:53
Ye jindagi bhi kya jindgi hai, mere dost...
Janam to liya hai sher ke ghar me,,
Magar jindgi pinzare me ked hai...
-Rahul kumar singh❄-
25 AUG 2022 AT 19:14
"रचना“
जो करीब नहीं है...
उसको अपने शब्दों से बयां करना ही
खूबसूरत रचना है-