kb kaha kisko kya lgta h
isse humko kya krnaa h
un begaano ki yu fikar krke
khushiyo se dur kyu rehna h
-
एक पाऊल मदतीचं
पोटाची खळगी भरण्यासाठी
कष्ट करणाऱ्या हाथांना
एक पाऊल मदतीचं
पलायन करणाऱ्या पावलांना
एक पाऊल मदतीच
फाटक्या वस्त्रा लगत
कुजत चाललेल्या वयासाठि
एक पाऊल मदतीचं
धुक्यात हरवल्या गेलेल्या
बालपनासाठी
एक पाऊल मदतीचं
त्या चिमुकल्यांसाठी
काळा पेक्षा लवकर मोठ्या
झालेल्या पावलांसाठी
एक पाऊल मदतीचं
शिक्षनाचं स्वप्नं सकाळच्या
कष्टात गेलेल्यांसाठी
एक पाऊल मदतीचं
पार्क मध्ये खेळण्याच्यावेळी
गेलं एक भाकरीच्या तुकड्याच्या शोधात
एक पाऊल मदतीचं
त्यांच्या डोळ्यांतील
आशेच्या भावनांसाठी
एक पाऊल मदतीचं
ह्यानाही जीवनाचां निखळ आनंद
भरभरून अनुभवता येईल ह्यासाठी
एक पाऊल मदतीचं
आपल्या समाधानासाठीं.
निःशब्द@Shraddha Arvikar
-
प्यार का मतलब धोखा देना नहीं है
प्यार जीने के लिए है
मेहसूसू करने के लिए है
प्यार एक एहसास है
जैसे फूलोंकी खुशबू फैलती है,
वैसे ही प्यार भी उसी तरह हैं
प्यार करने और निभाने,
के लिए कोई कारण नहीं होता।
यदि प्रेम स्वार्थ लाभ के लिए है तो
वो फरेब हे
यह प्रेम कदापि नहीं है
अगर दोनों चाहते हैं
तो प्यार कायम रहता है
अगर नहीं तो वो बस धोका होता हैं!-
बदलें की आग में
भडक उठती हैं ज्वाला
कर दूसरों को बरबाद
खुद भी हो जायोगे तबाह
पायोगे फिर तकलीफ में खुदको
क्या मिलेगा फिर
झुझकर इस बदले की आग में
खुदको को करलो इतना मजबूंत की
खोकले लोग खुद जल जायेंगे सोच
कर फरेब तुमसे फिर
कैसे इतना खुश हो तूम
बदल डालो अपनी हसरत
की लोग तरस जाये देखने आपको !
-
पास न हो तो आँखो से हो रहे ओझलं हर एक ख्वाब
तोड के दिलं तुम चले गए
तुटे दिलं के साथ हम पल पल तडपते रहे
अब वो धिमी धिमी धडकने उस तुटे दिलं के साथ की
ऑंखे भी चूप चूप बस दर्द के से घिरी हें
दे रही थी गवाही तेरे हर एक बेवफाई की
वादे वफा सब भूलकर तोड दिया दिलं तुकडो में
अब सिसकता हैं तडपता हैं हर एक सांस के लिए
इस मिटते जख्म के साथ
समझ आ रहा हें अब की कितना रो रहा हैं वो
जाने कितना दर्द और होगा इस मिटते जखम के साथ
बस अब दिलं ने भी के हे दिया
हो जाए धडकने बंद तो कोई गम नहीं
क्युंकि अब इस दर्द के साथ मुझे जिना नही.
-
वो हवा कें झोंके की तरह होती हैं
दिल को सुकून दे जाती हैं
पलभर में खुशियाँ ही खुशियाँ
बिखेर जाती हैं
जीवन को फुलोंसा महक जाती है
हो जाते हैं हम मदहोश उसकी महक में
हसीन चेहरे पर मस्कुराहट छा जाती हैं
झुमने लगता है सारा जहां जैसे
वो ख़ुशियों की लेहर सुकून दे जाती हैं!-
समझ नहीं आता कभी कभी
की सही़ क्या हैं?
जो कर रहे हैं वो
या फिर जो नहीं कर रहे हैं
वो????-
इन निगाहो में बसते हो तुम
जैसे आकाश में चाँद तारे
न होना ओझल इन आँखो से
लगता है जैसे ग्रहण चाँद को
हो जाएगा अंधेरा जीवन में
तूम बरकरार रेहना
झगमगते तारो की तरह
मिले सुकून जब देखू
खुद को में आयने में!
-
कुछ बोलने का मौंका ही नहीं दिया
इतनी जल्दी थी उन्हे जाने की!-
कुछ इस तरह हुइ
शब्दों की राह पर
मेरे अल्फाज उनके अल्फाज
एक सुंदर पंक्तिं कब बनी पता ही नहीं चला
रोज का वो मिलना
अल्फाज वो और मे
बस सिलसिला ऐसा चला की
कब एक सुंदर कविता बन गयी
पता ही नाही चला.-