सुना है आज होली के रंगों की बहार है.... चारों ओर बस रंगीन ही ये आकाश है.... मुक़म्मल है मेरा हर दिन होली के त्योहार सा क्यूंकि मेरे हर दिन में तेरे इश्क़ के रंगों की बरसात है....।
तुझे देख मेरे गालों पे पड़ते हैं जो गढढे ... इन गड्ढों में तेरा ही एक अक्स ठहरा रहता है. .... तेरे चले जाते ही वह फिर बिखर जाता है .. हर बार यही सोचता हूँ कि इसे बस यूँ ही बिखरे रहने दूँ ..... पर यहाँ तुम जैसा कोई और ठहरा ही नहीं .....