मेरा मुकद्दर 'वो' बना रहा था,
मै अपने हाथों पर इतरा रहा था।
बचाया हर बला से मुझे 'उसने',
मै अपनी किस्मत लगा रहा था।
सब कुछ अता किया मुझे 'उसने',
मै अपनी मेहनत जता रहा था।
सब कुछ लिखा हुआ है 'उसने',
मै अपनी लिखावट बता रहा था।
धुन 'उसकी' सवार थी मुझ पर,
लगा कि कुछ अपना गा रहा था।
किसको कब क्या मिलेगा तय है,
मै बेकार में हाथ फैला रहा था।-
नजरों के तीर काजल कब तक सहे,
हीर की पीर पागल कब तक सहे।
हर रिश्ते की एक उम्र होती है,
पानी का बोझ बादल कब तक सहे।
टूटकर बिखर जायगी एक दिन,
ये वहशी निगाह पायल कब तक सहे।
चुल्लू भर पानी भी काफी होता है,
पाप के गोते गंगाजल कब तक सहे।
मासूम चराग को ओट भी है नापसंद,
कातिल हवा का दखल कब तक सहे।-
मै अक्सर गहरी बात कहता हूँ ,
मै अक्सर तेरी बात कहता हूँ ।
तुम भी दिल से सुना करो मुझे,
मै अक्सर दिल की बात कहता हूँ ।
यकीन कर लिया करो तुम मेरा,
मै अक्सर पक्की बात कहता हूँ ।
जब मै रोता हूं तो ध्यान दिया कर,
मै सुबककर मन की बात कहता हूँ ।
कहकर पलट जाता हूं ना मै कुछ बातें,
वो अक्सर सच्ची बात कहता हूँ ।-
हमेशा मुस्कुराता रहता है वो,
जाने क्या छुपाता रहता है वो।
आँखों में कुछ तो है उसके,
नज़रे चुराता रहता है वो।
कुछ नहीं हुआ है सब ठीक है,
कुछ ऐसा जताता रहता है वो।
तसल्ली होती तो नहीं है मगर,
तसल्ली दिलाता रहता है वो।
ग़म कम गहरा तो नही उसका,
उसे और गहराता रहता है वो।
पूछने पर तो कोई जवाब नहीं,
तन्हा बुदबुदाता रहता है वो।
सिर्फ सच्चे लोग पसंद है उसे,
आईने से बतलाता रहता है वो।-
लाज़िमी हैं गलतियां कारोबार-ए-ज़िंदगी में,
बिकते नहीं हैं सबक बाज़ार-ए-ज़िन्दगी में।-