बिखरे मेरे आशियाने को कुछ यूँ सजाया उसने,
मेरे जन्मदिन को भी अपने जन्मदिन सा मनाया उसने!!!
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कृष्ण तुम्हारे देश में
नारी क्यूँ शर्मिंदा है
लुट रही हर रोज़, ना जाने कितनी द्रौपदी
दुशासन अब भी ज़िंदा है!!!
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बैठे-बैठे यूँही चेहरे पे मुस्कान आ गयी,
लगता है आज फिर उन्होंने
दुआ में मेरी ख़ुशी मांगी!!!
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मेरे घर की आलमारी भी आज शिकायत करने लगी
बोली, अब तुम्हारे कपड़ों से उनकी खुशबू नही आती!!!
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ज़्यादा फर्क नहीं है
तेरे बिन इन बारिशों में
पहले तेरे साथ भीगा करते थे
अब बस गीले हो जाते हैं!!!
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दूरी कितनी भी हो
अभी मुक़ाम बाकी है,
लाख पड़े हों पैरों में छाले
मगर हौसला अभी तमाम बाकी है!!!
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इस कोरोना काल में
हाथों के साथ, नीयत भी साफ़ करते रहिये
क्या पता कब कौन-सा पल आखरी हो
इसलिये माफ़ी मांगिये और माफ़ करते रहिये!!!
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माना की ये संकट बड़ा है
चौखट के बाहर वायरस मौत बांटने को अड़ा है
नही हैं हम इटली, अमेरिका या स्पेन
ना इतने विकसित हैं, ना ही इतने कमज़ोर
लडने का माद्दा है हममें पुरज़ोर
ऐसी हज़ार चुनौतियों से, भारत कई बार लड़ा है
ए मौत के सौदागर, नज़र उठा के तो देख
तेरे सामने पूरा हिन्दुस्तान चट्टान बनके खड़ा है!!!
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ख़्वाहिश है तुम्हारे साथ ज़िन्दगी जीने की,
वरना दिल लगाने के तरीक़े और भी हैं!!!
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