चिथड़े वसन, लहूलुहान तन...
शिखरस्थ होने, लालायित मन...
खड़ा दोराह में, करने चयन...
चुनूँ? पथ जिसमें, सब करते गमन...
या चुनूँ? निर्जन-पथ, पतझड़-सम...
उधेड़बुन-उलझन में मन,
हो शांतचित्त, करता मनन,
क्या? सर्वदा सत्य ही हो, जनमानस चेतन!
इन्हीं पूर्वाग्रहों का, करने खंडन,
निकल पड़ा, कर दंडवत नमन!
लगा चलने, अतिशय ही मार्ग निर्जन,
बाधाएं असंख्य, दृढ़तापूर्वक करता दमन,
आखिर मिल ही गया, वो पावन उपवन,
हर्षित मन, बहती हवा सन-सन,
प्रकृति मुस्काई, खिल उठे चमन,
स्वागत करने को, राहीगर प्रथम!
पतझड़-पल्लव, हो उठे चमन,
पुष्पवर्षा हुई, आल्हादित हो उठा गगन!
यही सफलता का नियम प्रथम,
सूझ-बूझ व आत्मविश्वास से, करें मार्ग चयन।
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