QUOTES ON #SOLITARYEMERALD

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7 MAR 2024 AT 23:31

एक वैरागी चला अध्धयन करने,
जीवन चक्र के रहस्य,पता करने,
एक कन्या के हठ को पूर्ण करने,
इतिहास के प्रष्टों पर नाम लिखने।
प्रेम की पराकाष्ठा में,
वियोग का विष पीने,
एक संन्यासी चला,
प्रीतम से मिलने।।
भ्रम कुछ ऐसे हुए,
कालिख भरे आँचल हुए,
राख में तब्दील हुए,
अश्रु अश्रु समय और स्थान हुए,
टूट कर बिखरे,
इष्ट से इंसान हुए।।
एक वैरागी चला अध्धयन करने,
अपने ही दूसरे अंश से मिलने,
प्रेम के पठन में,
एक देवी की परख करने।
एक वैरागी चला अध्धयन करने,
बाघ वस्त्र त्याग करने,
गृहस्त जीवन में प्रवेश करने,
धरा को प्रीति से भरने,
प्रणय के सूत्र में बंधने,
शक्ति का वरण करने,
महाकाल से शंकर बनने,
एक वैरागी चला प्रेम करने,
एक संन्यासी चला प्रीतम से मिलने।

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12 MAR 2024 AT 13:30

On the sandy cot of earth,
And the perfumed quilts of florets,
Beneath the cloudy shade,
And vivid rainbow flare,
We lay,
Holding hands,
Burying misfortunes,
And twisting fate.

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22 JUL 2024 AT 18:20

यूँ हृदय में तुझको धारण किया
सर्वस्व तुझे है मान लिया,
यूँ हर दिन तेरा ध्यान किया,
जीवन से तेरे है ज्ञान लिया,
यूँ भोले,तांडव तूने किया,
एक नृत्य मैंने जान लिया।

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8 JUN 2024 AT 2:27

चाय ना उन्हें पसंद थी, ना हमे
चाय के कप के सहारे,
बातें नज़र किया करती थी,
तलब इश्क़ की पुरज़ोर थी,
पर हिम्मत कह पाने की
ना उन्मे थी ना हम में।


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19 FEB 2024 AT 3:21

Beauty of a silent night
The nights were always long
But now she comes with her cushioned feet
To take the day into her embrace
And the silence is broken by an occasional cooing
Or an spontaneous cry
With a little lullaby echoing in the background
And the sounds of clicking clocks,
Reminds one of approaching dawn
And in that silent chaos,
Mother nature nurtures life
And the cupid’s arrow slowly drifts from its direction
To show one an everlasting enchanting love

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23 JUN 2024 AT 0:05

Vanity enclosed in mirror

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18 MAR 2024 AT 15:58


एक द्वंद है छिड़ा ,
शिव का शिव से,शिव के भीतर,
एक ओर है चंद्रशेखर,एक ओर है वीरभद्र।
एक अनुभव का हुआ स्मरण ,
स्वयं के अंग का यूँ देख शोषण,
तड़प उठा एक पुरूष ब्राह्मण,
जटा से है निकला रुद्र तत्क्षण,
त्रिशूल और खड़क किए धारण,
भार्या के अग्निदाह का करने संश्लेषण।
दक्ष-पुत्री का यज्ञ में तर्पण,
छेड़ चुका है एक युद्ध भीषण,
एक महादेव और दूसरे देवगण,
धरा सिहरे, है ऐसा गर्ज़न,
चहूँ ओर है रक्त-रंजन।
दक्ष है चला,हरि के प्रांगण,
हाथ जोड़े माँगने शरण,
लिपटा है अविनाशी चरण,
हरि है करे स्वयं से वंदन,
हे महादेव, रोको ये रूँदन,
ना माने शंकर,
हुआ है शक्ति मरण,
अंत में है उठा सुदर्शन ।
शक्ति अंग हुए खंड-खंड,
अब शांत हुए शंकर,
स्वयं का है किया शिक्षण,
पुनः होगा देवी अवतरण,
करना होगा फिर से सृजन,
काली- भैरव चले अंतर्मन,
शिव ही शिव को हुए अर्पण,
द्वंद है थमा शिव के भीतर।

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20 SEP 2024 AT 15:09

ना बनु मैं प्रियसी,
ना कहलाऊ भार्या,
ना कही जाऊँ गोपी,
ना इतराऊँ बन कृष्णा,
है नटखट,
सौभाग्य देना इतना,
पुकारी जाऊँ यसोदा।

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12 JUL 2024 AT 14:07

स्वाभिमान है रुक्मणी का
अभिमान है सत्यभामा का
योग है मीरा का
वियोग है राधा का
वस्त्र है द्रौपदी का
अन्न है सुदामा का
ज्ञान है अर्जुन का
अभिशाप है अश्वत्थमा का।

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4 MAR 2024 AT 19:44

Through the deserts of lives,
And the sands of times,
Through the river of pain,
And the attire of stain

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