It's high time to change our mentality..
Coz.. We go on judging others
Without knowing their reality..
The society, where we all co exist,
is full of negatives...
Everyone here,is busy,
in giving their views and prospectives..
But they need to examine themselves first..
And then, make the distinction between
the good , mediocre and worst...
Guys..
Keeping in mind the old proverb
"DON'T JUDGE A BOOK BY IT'S COVER",
I guess..
It would be nice of us to read
that very book,over and over,
Rather than judging that book by its cover..
So as to transform ourselves into people,
who have that kind of mentality
which is not just roomy but also proper...-
#देव नाही देवळात
माणसा कसली तू शोधतोस ठेवं
शोधायचाच असेल तर शोध देव।।
स्वार्थापायी तू जनहित विसरलास
स्वतःच्या भावविश्वातच गुंतलास।।
समाज दु:खाचे केलेस राजकारण
नेता म्हणवूनी लूटलेस अर्थकारण।।
देव नाही मसिजीत नाही देवळात
सापडेल तो गरीबांच्या झोपडीत।।
जीवनात आचरूणी जनसेवा व्रत
कल्याण होईल तुझे लाभेल अम्रुत।।
श्री. गजानन परब.(बाबूजी), सिंधुदुर्ग.
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The production of too many useful things results in too many useless people.
-- Karl Marx-
जब नजरें ना झुका पाओ
तो सिर ही झुका लेना।
शायद तुम्हारी बेशर्मी को
अदब का ही नाम मिल जाए।।-
खाली पेट क्रांति की बात करने और भरे पेट से पूंजीवाद की ज़िंदाबाद करने के बीच कहीं सबके पेट जरूरत भर भरे हों की कवायद ही असली समाजवाद,मानवतावाद है।
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Capitalism is productive!! It enslaves the productivity of millions,but centralizes the productivity of a boss
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ये अमीरों की दुनिया है इसका यही काम है प्यारे
बहता खूं गरीबों का औ सजती इनकी शाम है प्यारे
तेरे ही मेहनती हाथों से, बनता इनका नाम है प्यारे
इनके विकास के किस्सों में तू क्यों फिर गुमनाम है प्यारे
जंगल ले ली,ज़मीन भी ले ली,अब लेंगे तेरी जान ये प्यारे
तेरे टूटते स्वर-स्वप्नों में ही,बनती इनकी शान है प्यारे
तेरी पीठ पे चढ़ जाते हैं सत्ता के आसमान वो प्यारे
तेरी करुण गाथा में भी बस उनका ही अहसान है प्यारे
व्याकुल व्यथित है मन 'विद्रोही ',कोई अब संग्राम हो प्यारे
हक़ है अपना ,छीन के लेंगे ,यही अब पैगाम हो प्यारे-
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सार्थकता एक समाजवादी ढांचे में ही संभव है। पूंजीवादी ढांचे में वो सिर्फ़ एक राजा हो सकते हैं,जन मानस के आराध्य नहीं। रामराज्य एक समतामूलक समाज की नींव पर ही बन सकता है और रामराज्य की अवधारणा में ही न्याय,समानता और बंधुत्व के बीज हैं।
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