मुझे उजालों की जरूरत नहीं मुझे अंधेरों में रहने दो
मुझे महफिलो की जरूरत नहीं मुझे तन्हाईयों मे रहने दो
मुझे खुशियाँ रास नही आती मुझे मेरे दुखों में रहने दो
मुझे जीने की दुआ न दो यारो मुझे खाक में मिल जाने दो
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अब कौन भला चाहे किसी को यहां
वफाओ के बदले धोखे मिलते यहां
बेदर्द बेकदर बेरहम बेवफा मिलते यहां
आज जख्मी अपने ही कब्र में सो जायेगा यहां-
किसी को इश्क कितना तड़पाता है
कोई तो समझाओ उस बेदर्दी को
इश्क का चोट कितना जानलेवा होता है-
दिल तोड़ कर अगर जाना है तो जाओ
पर एक जहर का जाम पिला दो अपने हाथों से
ग़र जिंदगी के सफर में साथ मेरा दे ना सको
मुझे कब्र में दफना दो अपने हाथों से-
अक्सर भीग जाता हूं मैं अपने ही आंसुओं से
हर वक्त डूबा रहता हूं मैं अपने ही गमों से
खता बस इतना था मेरा इश्क हो गया उनसे
दर्द का सिलसिला चला आ रहा कई मुद्दतों से
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बेवफा को क्या मालूम दर्द-ए-दिल क्या होता है
उसकी याद में मेरा दिल आज भी रोता है
सितमगर तो बहुत मिले पर तुमसा नहीं
इश्क की सजा इतना दर्दनाक क्यों होता है-
ना जीता हूं
ना मरता हूं
तुम्हारी याद
में सुबह से
लेकर शाम
तक पीता हूं-
आसमां झुक सा गया
ए वक्त रुक सा गया
बस तेरे दीदार को
आंखे भर सा गया
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अब तो हम दर्दे दिल की जुबान समझने लगे है
इश्क क्या होता है भुलने की कोशिश कर रहे है
दिल किसी का टुटता है तो बहुत दर्द होता है।
अब अपनी शायरी मे अपने जख्मो को पिरो रहे है-
कोई जाकर चिरागों को बुझाओ तो सही
अब तो रोशनी भी आँखो को तकलीफ देती है
कोई जाके हवा का मुख मोड़ो तो सही
हवा मे फैली खुशबू भी उसकी याद दिलाती है
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