QUOTES ON #SKSPOETRY

#skspoetry quotes

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10 APR 2021 AT 20:20

I am a sweet, unique and wonderful girl,
In my family, I am the second member pearl.

Shahabia Khan is my real name,
But I have also so many nickname.

Born with so many difficulties as I am born as
a blessed baby,
But my mother is never giving up on me and
she is always my love lady.

I'm strong, independent, funny and
live in my own way,
And try to be kind and helpful to others always.

People close to me know me better as I am a
a different person to different people,
But also, I don't like fake and lie people.
©Shahabia Khan✍️

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26 AUG 2021 AT 23:10

उम्मीदों का बाज़ार ही दिल में सज़ा रखा है,
हाँ मैनें भी अब उनसे उम्मीद लगा रखा है।।

उम्मीदों के फूलों को सदा मैनें ही खिला रखा है,
जताती नहीं हूँ पर रूह में ही उसे दबा रखा है।।

मन के अंदर छोटी सी सदा उम्मीद को जगा रखा है,
हर पल ही दिल में उसी का निशान मैनें बना रखा है।।

उम्मीदों का बाज़ार को ही हरदम सबसे लगा रखा है,
टूटती हरबार वो जानें क्यों ही अपनों से लगा रखा है।।

'शहाबिया' दिल के अंदर ही उम्मीदों का सैलाब रखा है,
ना पूरी होने पर हमनें ही मन के अंदर उसे मार रखा है।।
-शहाबिया ख़ान

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31 JUL 2021 AT 19:36

आज मिली है फ़ुर्सत बड़े दिनों के ही बाद है,
ख़्यालों ही ख़्यालों से हमनें बनाई तस्वीर है।।

ख़ुद को जान कर बैठें हम खोजनें बड़े दिनों के बाद है,
रंगों से ही सजाईं अब मैनें अपनी ही सिर्फ़ तस्वीर है।।

क़ल्ब को बहलाने की नई कला आई बड़े दिनों बाद है,
आज़मा रहे अपना हुनर को बना कर ही हम तस्वीर है।।

जान रहे हम ख़ुद को यूँही बैठ कर बड़े दिनों के बाद है,
जो खोया 'शहाबिया' ने उसे भुला रहीं बनाकर तस्वीर है।।
-शहाबिया ख़ान

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25 JUL 2021 AT 19:05

रुसवा हुई मोहब्बत हमारी भरी बज़्म में,
अब न रखेंगें कदम हम उस दहलीज़ में।।

न अब कोई चाहत बचीं न ही अरज़ू अब कोई,
झूठे वादें ही किया उसने और रूह उसमें खोई।।

वादा है दिल से न अब रखेंगें कदम उस दहलीज़ में,
जिस में हुए सिर्फ़ हम बदनाम और गुनहगार उसमें।।

नेक मोजिज़ा के एहसास हुआँ था इश्क़ में ही उनसें,
पर तन्हा छोड़ गए हमें वो यूँही जानें अब ही कैसे।।

क़सम खाती है 'शहाबिया' खुद से ही अहद ये ही है,
न राब्ता होगा उस शख्स का जिसने तोड़ा दिल मेरा है।।
-शहाबिया ख़ान

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20 MAY 2021 AT 7:22

//यहाँ से बस आज ले जाए मुझे कोई//

यहाँ से बस आज ले जाए मुझे कोई,
ना कोई ग़म की शाम हो अब कोई।।

इस दुनियाँ से अलग ले चले मुझे कोई,
राह-ए ज़िन्दगी को बदल दे अब कोई।।

यहाँ से ही बस आज ले जाए मुझे कोई,
इस बेरहम ज़ीस्त से दूर कर दे अब कोई।।

मेरे दिल को हरफनमौला में रहने दे मुझे कोई,
इसी तरह से ज़ीस्त में जीनें दे फक़त अब कोई।।

कोह-ओ-सब्र से मिला दे ही महज़ अब मुझे कोई,
रूह की अज़ीब खैफ़ीयात को दूर कर दे अब कोई।।

हयात में नूर-ए-ख़ुदा से ही पहचान करा दे मुझे कोई,
दामन-कुशा करके इल्तिज़ा है उसी से मिला दे अब कोई।।

नेक रूहानी इश्क़ के जज़्बात से रूबरू करा दे मुझे कोई,
चाहत है ऐसे ही मोहब्बत से ही मुक़म्मल कर दे अब कोई।।

ज़िंदगी में इशरत-ए-क़तरा का ही इनायत कर दे मुझे कोई,
निसाब-ए-ज़ीस्त की दास्ताँ में फूर्कत को मिटा दे अब कोई।।

गर हयात में ज़द खा के गिर जाओं तो हिम्मत से उठा दे मुझे कोई,
अरज़ू है उड़ कर आसमाँ छू जानें कि बस उड़ना सीखा दे अब कोई।।

दुनियाँ की हर रिवायतों से दूर यहाँ से बस आज ले जाए मुझे कोई,
'शहाबिया' की लियाकत ही की पहचान कराकर खिला दे अब कोई।।
-शहाबिया ख़ान

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1 OCT 2021 AT 18:12

रात के चादर तले हम दोनों सदा के लिए मिले,
इश्क़ में ही हम एक दूजें संग है गुलशन खिले।।

रात के चादर तले ही बू-ए-उल्फ़त में दिल है मिले,
मोजिज़ा के एहसास का ही इब्तिदा मन में खिले।।

अहद ही ज़ेहन फ़राग़त और इब्तिसाम से है मिले,
वो और मैं रात की चादर में ही एक रूह में खिले।।

राह-ए-उल्फ़त में ही हम दोनों तहम्मुल से ही अब है मिले,
सब्र से ही हमने बज़्म-ए-मोहब्बत में ही तब फूल है खिले।।

हर शब बहती शांत नदी के जैसे ही हम एक दूजें में ही है मिले,
बड़े रंग-ए-एहतराम से ही प्यार के हमारे गुल-ए-बहार है खिले।।

हर शब तारों संग ही इश्क़ की ख़ुमारी में हम दोनों ही है मिले,
'शहाबिया' अपनें हमसफ़र से नेक जज़्बात में महकती खिले।।
-शहाबिया ख़ान

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16 MAY 2021 AT 12:46

//मोहब्बत में बग़ावत//

ज़ीस्त में अच्छी होती है थोड़ी मोहब्बत में बग़ावत कभी-कभी,
मोहब्बत बढ़ती वो है जिसमें होती प्यारी अदावत कभी-कभी।।

खट्टी मीठी मोहब्बत की बग़ावत से रिश्ता होता मज़बूत कभी-कभी,
मंज़िल-ए-सफ़र में मोहब्बत में शरारत बानाती ख़ास है कभी-कभी।।

अपनें हमसफ़र से मोहब्बत का यूँही इज़हार हो जाना कभी-कभी,
दिल बेक़रार होता और मिलता सुकूँ उस मोहब्बत में है कभी-कभी।।

चश्म में हरदम ही रहता है इंतज़ार उस मोहब्बत का ही कभी-कभी,
जिसमें होती है हिफाज़त ही मोहब्बत में यूँही फक़त है कभी-कभी।।

रूह है खिलती उस मोहब्बत में जिसमें होती फ़राग़त कभी-कभी,
गुल-ए-गुलशन महकता मोहब्बत का जिसमें होती शिराकत कभी-कभी।।

हयात में मोहब्बत में बग़ावत करना और रूठना मनाना चलता कभी-कभी,
निसाब-ए-ज़ीस्त में मोहब्बत में थोड़ी हसद भी जरूरी होता है कभी-कभी।।

मोहब्बत में खट्टी मीठी तक़रार 'शहाबिया' होती है लाज़मी कभी-कभी।।
रहता है जिस मोहब्बत में रंग-ओ-एहतराम वो ही खिलता कभी-कभी।।
-शहाबिया ख़ान

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21 AUG 2021 AT 22:29

दिल पे किसका ज़ोर है वो नादां सा बेचारा कुछ ना समझें,
जो भाँ जाए उसे ही तब हो जाए उसे मोहब्बत अब ही है।।

इश्क़ करने वाला मासूम सा दिल बेचारा कुछ ना समझें,
ना मानता वो टूटता हर बार ज़ार-ज़ार उसी में अब ही है।।

दिल पे किसका ज़ोर है करना चाहें मनमानी अपनी वो ना समझें,
ज़िस्त में हर एहसास को मुक्त बहाव की अरज़ू रखता अब ही है।।

इस दौर में जानें लोग दिल पर ही करते वार है दिल इसे ना समझें,
सफ़र-ए-मंज़िल में दिल को पखते और आज़माते सब अब ही है।।

'शहाबिया' दिल पे किसका ज़ोर है करता अपनी है ये ना कुछ समझें,
रहता वो नेक उल्फ़त को पानें की और सब्र की उम्मीद इसको अब है।।
-शहाबिया ख़ान

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27 MAY 2021 AT 16:47

क़ल्ब में रखते हम ख़्वाब और एहसास ही बहुत अब है,
ख़्वाब हमारे कल्पना है पर एहसास हमारे हक़ीकत है।।

ख़ूबसूरत ही है हमारे ख़्वाब और एहसास ही अब है,
उल्फ़त से ही दोनों महज़ सजें है बनकर हक़ीकत है।।

ख़ुशनुमा से ही भरें ख़्वाब और एहसास हमारे बहुत अब है,
एक ख़ास शख्स से ही महकते वो दोनों बनकर हक़ीकत है।।

चश्म से लबरेज़ हर ख़्वाब और एहसास बहुत अब है,
दिल भी उम्मीद में है पूरें होकर बनेंगे वो हक़ीकत है।।

रफ़्ता-रफ़्ता पूरें हो रहें सब हमारे ख़्वाब और एहसास अब है,
निसाब-ए-ज़ीस्त में खिल कर वो हमनवा से हो रहें हक़ीकत है।।

रहती ख़्वाब और हर एहसास में डूब कर ही 'शहाबिया' अब है,
क्योंकि वो ही अहद अपनें उसे लगते है जो बनते हक़ीकत है।।
-शहाबिया ख़ान

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8 APR 2021 AT 10:13

//The First Meal- Breakfast//

(Read the Whole Poetry In Caption)

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