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तेरे दुप्पटे का यूं मेरे चेहरे को छू कर लहराना,
कसम तुम्हारी,
मैं कफ़न में ढका मुर्दा शरीर हो गया।-
तुम वहमों को वजह बना लेना,
यूं चौखट पार करते वक्त
पैर फिसलने को बहाना बना कर
तुम दो पल और रुक जाया करना-
मैं जता नही पाता
अपनी कविताओं में,
उतने शब्द।
मोहोबत है तुमसे
मैं ये कह नहीं पाता,
उतने शब्द।
तेरे गाल पे गिरी पलक पे
मांगूं हर दुआ में तुझे,
उतने शब्द
तू समझेगी नहीं कभी,
मैं जता ना पाऊंगा कभी,
उतने शब्द।-
उंगली से उठा कर
चाय के कप पर लटका दी जाती है,
ये मोहब्बत मेरी
उस चाय पर जमी मलाई सी हो गई है-
कच्चे घर में रह के भी
एक वक्त की रोटी खा कर भी
ये शख्स बड़े गुमान से कहता है
कि वो शहर में रहता है-
झूठ की बुनियाद पर ख़्वाब दिखलाते हो,
चांद तारों को क्यों यूं बेवजह बदनाम करते हो
सच बताओ
तुम इश्क करते हो की
गुमराह करते हों?-
मैं इक किनारा हूं, जो तैरना चाहता है
मैं इक समंदर हूं, जो ठहरना चाहता है-