रहने में छोटी भी है बहुत, मगर बाजी बुलाता हूँ...
मैं अपनी खुशी से सब बहनों को दीदी बुलाता हूँ...
रिश्तों में दरारे ना आए तभी तो घर पे मैं अपने...
कभी बहनें बुलाता हूँ, तो कभी बेटी बुलाता हूँ...
बड़े रौब से गुस्से में, जब तुम नाक फूलाती हो..
बड़े ही प्यार से मैं तब इसको शहजादी बुलाता हूँ...
मिला है इक तजुर्बा यह कि अपने देरी से आते हैं...
इसलिय ही मैं शायद बुरे वक्त में पड़ोसी बुलाता हूँ...
पुकारुंगा तुम्हारे नाम से ही अपनी बिटिया को 'सदफ़'...
जैसे अभी तुम्हें आपा कहने से पहले प्यारी बुलाता हूँ...
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